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जंगल की आगः हाईकोर्ट ने मांगा केन्द्र, राज्य सरकार से जवाब

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है

May 02, 2016 / 01:06 pm

विकास गुप्ता

Uttarakhand fire

नई दिल्ली। उत्तराखंड में लगी आग के चलते 3000 एकड़ से अधिक वन क्षेत्र जलकर राख हो चुका है। इस आग में अब तक उत्तराखंड के 13 जिलों के जंगल चपेट में आ चुके हैं। इस मामले पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई नेक्सट सोमवार को होगी। हाईकोर्ट ने इस मामले में कुछ प्रश्नों के भी जवाब सरकार से मांगे हैं। इन प्रश्नों में से कुछ इस प्रकार हैं-

वन विभाग से ब्यौरा मांगा कि अब तक कुल कितने पेड़ जले और कितनी जनहानि हुई है
जंगल में आग के चलते कितनी पशुहानि हुई है
अब तक आग से कितने हेक्टेयर वन संपदा जली है
2005 के डिजास्टर मैनेजमेंट के कार्यक्रमों का क्या हुआ
डिजास्टर के लिए नेशनल और राज्य का क्या है प्लान
नासा का फायर सिस्टम उत्तराखंड में है या नहीं, अगर है तो आग लगने की सूचना कब-कब दी गई है

भारतीय वायुसेना कर रही है आग बुझाने के उपाय
उत्तराखंड के जंगलों में पिछले करीब तीन माह से लगी आग को बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने कृत्रिम बारिश करवाई। आग बुझाने के लिए वायुसेना के दो एमआई-17 और एक एएलएच हेलिकॉप्टर आग बुझाने के काम में लगाए गए हैं। आग बुझाने में मदद के लिए और भी हेलिकॉप्टर मंगाए जा सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए एनडीआरफ के 40 कर्मियों का एक दल भी नैनीताल तथा अल्मोड़ा जिलों में तैनात किया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले की जांच करेगी कि आग किस तरह और क्यों इतने व्यापक क्षेत्र में फैल गई? उत्तराखंड के जंगल में 88 दिन पहले आग लगी थी जिसके चलते अब तक 3,000 एकड़ वनक्षेत्र नष्ट हो चुका है।

गृह मंत्रालय की है स्थिति पर नजर
जावड़ेकर ने कहा कि इस घटना के पीछे चंदन तस्कर का हाथ होने की आशंकाओं की भी जांच की जाएगी, लेकिन हमारी प्राथमिकता आग बुझाना और लोगों को राहत देना है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने आग बुझाने के अभियान के लिए पांच करोड़ रुपये की राशि आवंटित की है। गृह मंत्रालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

40 कंट्रोल रूम और 6000 लोग रखेंगे निगरानी
राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में 40 मास्टर कंट्रोल रूम और 1166 अग्निशमन चालक दल स्थापित किए गए हैं। हर चालक दल में 5 से 7 कर्मचारी और अग्निशमन यंत्रों की व्यवस्था की गयी है। वहीं दूसरी ओर, अधिकारियों के अनुसार, एनडीआरएफ के 40 कर्मचारी अल्मोड़ा पहुंच गए हैं, जो वनाग्रि से सर्वाधित प्रभावित जिला है। जिला प्रशासन ने पैराग्लाइडिंग पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी है। आग बुझाने के लिए जंगलों में कृत्रिम बारिश का अभियान सुबह हनुमानगढ़ी से शुरू हुआ। इसके लिए वायुसेना की टीम सरसावा (सहारनपुर) से आई है। नैनीताल जिले समेत कुमाऊं में पहाड़ी जिलों के अधिकांश जंगल धधक रहे हैं।

आग के हालात पर निगरानी रखने के लिए करीब 6 हज़ार लोग लगाए गए हैं। इनमें राष्ट्रीय आपदा रिस्पॉन्स फ़ोर्स (एनडीआरएफ़), राज्य आपदा रिस्पॉन्स फ़ोर्स (एसडीआरएफ), राज्य पुलिस, वन अधिकारी और स्वयंसेवी शामिल हैं। उनके साथ ही वन पंचायतों को भी आग बुझाने के काम में लगाया गया है।

नैनीताल के डीएम दीपक रावत ने बताया कि एयरफोर्स की टीम में सात लोग आए हैं और एक एमआई-17 हेलीकप्टर आया है। वन और एसडीएम नैनीताल समेत अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं, एनडीआरएफ के 40 कर्मचारियों में से रसोइया एवं वाहन चालक समेत चार जवानों को आग बुझाने के ऑपरेशन से बाहर रखा जाएगा। शेष 36 जवानों को छह-छह की संख्या में बांट कर छह टोलियां बनाई गई हैं।

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