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उत्तराखंडः अवैध निर्माण होंगे नियमित भवन निर्माण होगा आसान, पहाड़ में व्यावसायिक निर्माण के लिए दी कई तरह की छूट

प्रदेश में भवन निर्माण के मानकों में भारी रियायतों की सौगात दी गई है। मंत्रिमंडल ने सोमवार को उत्तराखंड भवन निर्माण एवं विकास उपविधि/विनियम 2011 में संशोधन को मंजूरी दी है।

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देहरादून। प्रदेश में भवन निर्माण के मानकों में भारी रियायतों की सौगात दी गई है। मंत्रिमंडल ने सोमवार को उत्तराखंड भवन निर्माण एवं विकास उपविधि/विनियम 2011 में संशोधन को मंजूरी दी है। पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे भूखंडों पर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने के लिए न्यूनतम भूमि क्षेत्रफल के मानक में पचास प्रतिशत से अधिक राहत देने के साथ स्थानीय वास्तुकला को प्रोत्साहित करने पर सरकार का विशेष फोकस रहा।

इसके साथ आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में अवैध निर्माण के साथ आवासीय क्षेत्रों में संचालित नर्सिंग होम, क्लीनिक, ओपीडी, पैथोलाजी लैब, नर्सरी और प्ले स्कूल आदि को नियमित करने के लिए एकल समाधान योजना का तोहफा दिया है। 15 मार्च तक नक्शे प्राधिकरणों में जमा करवा कंपाउंडिंग फीस जमा कर उसे नियमित करवाया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तुत नौ प्रस्तावों से सात को मंजूरी मिली। शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में आवासीय और व्यावसायिक भवन निर्माण के लिए मानकों में व्यापक बदलाव किया गया है। सिंगल स्क्रीन के माल से लेकर मल्टीप्लेक्स, वेडिंग प्वाइंट, सर्विस अपार्टमेंट, होटल निर्माण के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल में पचास प्रतिशत तक कमी लाई गई है। पहाड़ में अब 25 वर्ग मीटर पर व्यावसायिक नक्शा पास होगा।

स्कूल और अस्पताल के लिए आवश्यक भूमि के मानकों में भारी कटौती की गई है। इससे पहाड़ों में छोटे भूखंड पर भी व्यावसायिक इमारतें बन सकेंगी, जिससे स्वरोजगार बढ़ेगा। मैदान और पर्वतीय क्षेत्रों के अलावा नया फुटहिल क्षेत्र चिन्हित किया है। फुटहिल के दायरे में वह क्षेत्र आएगा जो 600 मीटर समुद्रतल से अधिक होगा। इसका निर्धारण प्राधिकरण स्वयं करेंगे। मैदानी इलाकों में भी गगनचुंबी इमारतें बनाने का प्रावधान मानकों में किया है।
प्राधिकरण बोर्ड मास्टर प्लान में हाईराइज बिल्डिंग का प्रावधान करेंगे। सामूहिक आवास, बहुमंजिला आवास और मिश्रित परियोजनाओं में राहत देने के साथ आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए न्यूनतम भूमि क्षेत्रफल तय कर दिया है। आवासीय नीति में बदलाव कर पार्किंग का खास ख्याल रखा गया है। एकल समाधान योजना के तहत 1 अप्रैल तक कंपाउंडिंग नहीं करवाने वाले पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। विभागीय अनुमान के तहत लगभग 300-400 करोड़ रुपये शमन शुल्क से एकत्रित होंगे।
स्थानीय वास्तुकला अपनाओ एक तल फ्री पाओ सरकार ने स्थानीय वास्तुकला को प्रोत्साहित करने का खास ख्याल रखा है। आवासीय, व्यावसायिक, पर्यटक, मनोरंजन अथवा कार्यालय निर्माण में भवनों को स्थानीय वास्तुकला के अनुरूप करने पर प्रोत्साहन के रूप मं निर्माणकर्ता को अनुमन्य तलों से एक अतिरिक्त तल अनुमन्य किया जाएगा।
निगमों के वित्तीय अधिकार हुए असीमित

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जिसने नगर निगमों के वित्तीय अधिकार को असीमित कर दिया है। मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि निगम के बोर्डों को अब शासन के सामने बड़े बजट के प्रस्ताव पारित करने के लिए हाथ नहीं फैलाने होंगे। बोर्ड अपने स्तर से वित्तीय स्वीकृतियां प्रदान कर विकास कार्य संचालित कर सकेगा। इतना ही नहीं नगर आयुक्त, महापौर और कार्यसमिति के वित्तीय अधिकारों में भी वृद्धि की गई है।
महापौर 1 लाख की जगह 12 लाख कर सकेगा खर्च। नगर आयुक्त 10 लाख रु, कार्यकारिणी समिति 25 लाख और निगम का बोर्ड 25 लाख से अधिक असमिति। पांच लाख से कम आबादी वाले छह निगमों हरिद्वार, कोटद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर में महापौर 6 लाख, नगर आयुक्त पांच लाख और कार्यसमिति 15 लाख रुपये के प्रस्ताव पारित कर सकेगी।
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