ये दिया था फॉर्मूला
वाजपेयी जी ने कहा था, ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’. इन तीन मुख्य मुद्दों को लेकर हम कश्मीर के विकास के लिए काम करना चाहते हैं। चाहे लद्दाख हो, जम्मू हो या श्रीनगर घाटी हो। हम पूरे जम्मू-कश्मीर में समान विकास चाहते हैं। हम जम्मू-कश्मीर के जन-जन को गले लगाकर चलें, इसी भाव के साथ हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हम गोली और गाली के रास्ते पर नहीं, गले लगाकर के मेरे कश्मीर के देशभक्ति के साथ जीने वाले लोगों के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।
जब भी कश्मीर की बात आती है तो कश्मीर के ज्यादातर नेता वाजपेयी की ही कश्मीर नीति की चर्चा करते हैं। कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ्ती तक मोदी सरकार को ‘अटल फॉर्मूले’ को अपनाने की सलाह देते रहे हैं। कश्मीर में जब भी तनाव बढ़ता है तो वहां के लोग वाजपेयी के ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत’ फॉर्मूले को याद करते हैं।
वाजपेयी को कश्मीर को शांत रखने का नुस्खा पता था। ये फॉर्मूला भी उसी का उदाहरण है। कश्मीर पर सरहद पार से तनाव फैलाने वाले पाकिस्तान से बातचीत, कश्मीरियों से बातचीत. वाजयेपी जब तक प्रधानमंत्री रहे तब तक वो हमेशा पाकिस्तान के साथ इसकी पहल करते रहे। नवाज शरीफ हो या परवेज मुशर्रफ, वाजपेयी ने हमेशा पाकिस्तान के साथ चर्चा जारी रखी, ताकि घाटी में शांति बरकरार रह सके।