लॉकडाउन के कारण समय पर मंडी में नहीं पहुंची फसल जानकार इसका कारण लॉकडाउन को मान रहे हैं। इसके कारण सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है। ICRIER के प्रोफेसर अशोक गुलाटी के अनुसार- प्याज को ही ले लें। बदकिस्मती से जब रबी की फसल तैयार हुई, उसी समय ही देश में लॉकडाउन लागू हुआ। फसल समय पर मंडी में नहीं पहुंच पाई। प्याज अब मंडी में पहुंच रहा है। इसी वजह से इसके दामों में गिरावट आई है।
कुछ राज्यों में लॉकडाउन ज्यादा सख्त चैंबर ऑफ आजादपुर फ्रूट एंड वेजीटेबल ट्रेडर्स के महासचिव राज कुमार भाटिया का कहना है कि हमारे स्तर पर तो सप्लाई ठीक रही, लेकिन उत्तरी भारत के पंजाब और हिमाचल जैसे राज्यों में लॉकडाउन को ज्यादा सख्ती से लागू किया गया। हमारे व्हीकल इन राज्यों में प्रवेश नहीं कर सकते थे, इसलिए भी यह संकट पैदा हुआ। उन्होंने कहा कि अब हालत पहले से थोड़ी बेहतर है।
मांग में अचानक आई कमी से गिरे दाम दक्षिण भारत की एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केट कमेटी (APMCs)के एक अधिकारी का कहना है कि दामों में गिरावट का कारण सप्लाई चेन का प्रभावित होना नहीं, बल्कि अचानक मांग में आई कमी के कारण ऐसा हुआ है। बल्क में सब्जियां खरीदने वाले होटल और रेस्टोरेंट्स बंद होने के कारण ऐसी स्थिति पैदा हुई। यही नहीं, शादियों जैसे बड़े आयोजन भी नहीं हो रहे, जिससे मांग कम हो गई और दामों में कमी आई। लेकिन इसके मुकाबले खुदरा दामों में ऐसा कुछ नहीं हुआ। इससे किसानों की आमदनी कम हुई, लेकिन ग्राहकों को कोई फायदा नहीं हुआ।
थोक में औने-पौने दामों में बिक रहे टमाटर छतीसगढ़ में भिंडी की थोक मार्केट में औसतन कीमत 3.9 रुपए प्रति किलोग्राम है जो मार्च महीने के मुकाबले 84.6 और मई के मुकाबले 57.3 फीसदी घटी है। यही हालत अन्य सब्जियों के दामों की है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार- थोक मंडी में टमाटर एक रुपया प्रति किलो से भी कम दाम पर बिकने लगा है। कारोबारियों के अनुसार- सब्जियों के फुटकर विक्रेताओं की संख्या काफी कम हो गई है, जिसके कारण मांग कम है। रिपोर्ट में ओखला मंडी (Okhala Mandi) के आढ़ती विजय आहूजा के हवाले से कहा गया है कि- मंडी में दो रुपए किलो भी कोई नहीं ले रहा। दूसरी हरी सब्जियां भी औने-पौने दाम पर बिक रही हैं।