scriptउपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का बड़ा बयान, भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांछित | Venkaiah Naidu said external interference in India undesired | Patrika News

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का बड़ा बयान, भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप अवांछित

locationनई दिल्लीPublished: Jan 28, 2020 12:46:12 pm

Submitted by:

Shivani Singh

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का बड़ा बयान
भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं
टीआरजी-एन एनिग्मा’ के विमोचन के दौरान कहीं बात

cd8c0a1a96a8bb411074f981b694be36.jpg

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के अंदरूनी मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। भारतीय संविधान और भारतीय सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मुद्दों पर विदेशी हस्तक्षेप के रुझान के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए नायडू ने कहा कि इस तरह के प्रयास पूरी तरह से नाजायज और अवांछनीय हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि भविष्य में बाहर के लोग इस तरह के बयान नहीं देंगे।

यह भी पढ़ें

उमर अब्दुल्ला की दाढ़ी पर बीजेपी का तंज, तोहफे में भेजा रेजर और कांग्रेस से लेने मदद की सलाह

बता दें कि यह बाते उपराष्ट्रपति ने सोमवार को पुस्तक ‘टीआरजी-एन एनिग्मा’ के विमोचन के दौरान कहीं। नायडू ने कहा कि परिपक्व गणराज्य और लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत अपने नागरिकों की चिंताओं का समाधान करने में सक्षम है और ऐसे मामलों में दूसरों की सलाह या निर्देश की कोई जरूरत नहीं है।

नायडू ने कहा, ‘गणराज्य के रूप में 70 वर्ष के अनुभव के आधार पर हमने विभिन्न चुनौतियों का कामयाबी से सामना किया है और तमाम चुनौतियों पर विजय पाई है। हम अब पहले से अधिक एक हैं और किसी को भी इस संबंध में चिंता करने की जरूरत नहीं है।’

उपराष्ट्रपति ने गणराज्य के रूप में 70 वर्ष लंबी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी होने पर जनता को शुभकामनाएं दीं और कहा, ‘एक राष्ट्र के रूप में हम हमेशा अपने नागरिकों के प्रति न्याय, स्वतंत्रता और समानता के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा लोकतंत्र प्रासंगिक मतभेदों और असहमति को स्थान देता है।’

 

उन्होंने कहा कि जब भी नागरिकों के बुनियादी अधिकारों पर खतरा मंडराता है, तो देशवासी एक साथ उसकी सुरक्षा में खड़े हो जाते हैं। जैसा कि आपातकाल के दौरान देखने को मिला था। उन्होंने कहा, ‘इस भावना के परिणामस्वरूप हम दुनिया में सर्वाधिक जीवंत लोकतंत्र के रूप में उभरे हैं।’

भारत में शिक्षा में अपने 50 वर्षीय अभूतपूर्व योगदान के लिए तिलक राज गुप्ता की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे मानवीय आधार पर काम करते थे और अपने छात्रों, कर्मियों तथा अभिभावकों के लिए उनके मन में सदैव प्रेम और लगाव का भाव रहा है। अपनी इसी भावना के बल पर वे एक शानदार शिक्षाविद् बने।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो