इस वीडियो को जिसने भी देखा, वह निगम कर्मचारियों की इस करतूत को अमानवीय बताते हुए उनके व राज्य सरकार की कोरोना संक्रमितों के इलाज और कोरोना से मरने वालों शवों के निपटान की तैयारियों को लेकर जमकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। लोगों का दावा है कि ये शव कोरोना मरीजों के हैं, जबकि स्थानीय प्रशासन इससे इनकार कर रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, जिन शवों को जलाया जा रहा था, वह लावारिस थे, न कि किसी कोरोना मरीज के।
जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसमें स्पष्ट दिख रहा है कि कुछ लोग अधजले शवों को जमीन पर घसीटते हुए ले जा रहे हैं और शव वाहन में रख रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसका विरोध करते हुए दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि जब वे अपने घर में थे, तब कुछ जलने की बदबू आ रही थी। बाहर निकलकर देखा तो निगम कर्मचारी शव जला रहे थे। लोगों का आरोप है कि इस श्मशान में जो शव जलाए जा रहे थे, वह कोरोना से पीडि़त लोगाों के हैं। इसी बात का लोगों ने विरोध किया तो कर्मचारी विवाद करने लगेे, मगर बाद में अधजले शवों को ले जाने के लिए तैयार हो गए। मगर जब वे शवों को ले जा रहे थे, तो उन्हें तरीके से उठाने के बजाय उन्हें घसीटते हुए ले जा रहे थे और वाहन में फेंक रहे थे, जिससे लोगों का गुस्सा और भडक़ उठा। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम से जुड़े कर्मचारी चोरी-छिपे कोरोना वायरस मरीजों का शव श्मशान घाट पर जला रहे थे। इसके बाद लोगों ने विरोध किया तो वे आनन-फानन में शवों को लेकर भाग गए।
वहीं, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी इस वीडियो का संज्ञान लिया है। उन्होंने इस पर चिंता जाहिर करते हुए राज्य के आला अधिकारियों से घटना के संबंध में डिटेल रिपोर्ट मांगी है। बताया जा रहा कि राज्यपाल स्थानीय प्रशासन की दलीलों से संतुष्ट नहीं हैं। राज्यपाल ने इस संबंध में एक ट्वीट भी किया है। उनका कहना है कि मुद्दा यह नहीं है कि जिन शवों को जलाया जा रहा था, वह कोरोना से पीडि़त थे या नहीं, सवाल यह है कि मानव शरीर को इतनी निर्दयता और बेशर्मी से ऐसे क्यों घसीटा जा रहा था। जो लोग इस मुद्दे से भटकाना चाह रहे हैं, वह अपने आत्मा से पूछें और कल्पना करें कि यह शव अगर उनके संबंधितों के होते तो, क्या वह ऐसे की करते। बता दें कि प्रशासन ने इस घटना को लेकर जो अपनी सफाई पेश की है, उसके मुताबिक, यह वीडियो फेक है और ये सभी शव लावारिस थे। प्रशासन के मुताबिक, ये शव कोरोना पीडि़तों के नहीं थे।
वहीं, इस वीडियो के सामने आने के बाद राज्य में विपक्षी दलों ने भी ममता सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह वीडियो इस बात का सबूत है कि पश्चिम बंगाल की सरकार कोविड-19 से होने वाली मौतों की सही संख्या को छिपा रही है। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए राज्य की सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोला है। विजयवर्गीय ने अपने ट्वीट में लिखा, यह अमानवीयता की हद है। किसी की मृत देह को ममता जी आपके राज में जिस तरह घसीटकर गाड़ी में पटका जा रहा है, वो असहनीय है। क्या सरकार इस बात की जवाबदेह नहीं है कि ये कृत्य क्यों किया गया। जनता में भय के साथ पश्चिम बंगाल सरकार के प्रति गुस्सा भी है।