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महाकाल की पूजा कैसे हो हमने नहीं बताया: सुप्रीम कोर्ट

Published: Dec 01, 2017 09:25:41 am

Submitted by:

ashutosh tiwari

सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति को फटकार लगाई।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में शिवलिंग क्षरण के लिए उठाए जा रहे कदमों को ‘सुप्रीम कोर्ट का आदेश’ बताने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने मंदिर प्रबंध समिति को फटकार लगाते हुए कहा, उसने ये आदेश कभी नहीं दिए कि धार्मिक अनुष्ठान कैसे किए जाएं और न ये कहा कि भस्म आरती कैसे हो? जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था। कोर्ट को पूजा पद्धति से कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने कहा, हम अवमानना के केस का आदेश दे सकते हैं। कोर्ट की गरिमा का आपको ख्याल ही नहीं है।
शीर्ष कोर्ट ने समिति को फौरन वो नोटिस बोर्ड हटाने के लिए कहा, जिसमें लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नियम बनाए गए हैं। कोर्ट की फटकार के बाद समिति ने बोर्ड हटा दिया। कोर्ट ने ये मामला सिर्फ शिवलिंग की सुरक्षा के लिए सुना और एक्सपर्ट कमेटी बनाई। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मंदिर प्रबंधन समिति ने ये प्रस्ताव पेश किए थे। मामले में अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होगी।
यह की गई थी सिफारिश
महाकाल की पूजा के लिए सुबह पंचामृत से अभिषेक होता है। फिर जलाभिषेक और भस्म आरती होती है। रात तक चार बार अभिषेक होता है। श्रद्धालु दिनभर में कई बार पंचामृत चढ़ाते हैं। महाकाल का भांग से श्रृंगार होता है। कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक पुजारियों के अलावा बाकी लोगों को गर्भ गृह में न जाने दिया जाए और ऐसा न कर पाने की स्थिति में लोगों की संख्या सीमित कर देना है। कमेटी ने पूरा दिन ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने से नुकसान की बात की है। कमेटी ने जल चढ़ाने को सीमित करने की अनुशंसा की है। शिवलिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट से की थी।
यह था मामला
27 अक्टूबर को कोर्ट ने विशेषज्ञ कमेटी द्वारा सुझाए नियमों में बदलाव को मंजूरी दी थी। इसके मुताबिक एक श्रद्धालु आधा लीटर जल से अभिषेक कर सकेगा और सवा लीटर पंचामृत चढ़ा सकेगा। ज्योतिर्लिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने का भी इसमें सुझाव था। क्षरण रोकने के लिए कहा गया था कि आरती के बाद शिवलिंग को सूती कपड़े से ढंका जाए। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर पक्षकार मीडिया में गलत बयानी करता है तो उसके खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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