ममता सरकार ने आरक्षण बिल को लागू करने से किया इनकार मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ममता सरकार का कहना है कि वह इस विधेयक को अभी लागू नहीं करेगी। वह कोर्ट के फैसले का इंताजर करेगी। इसके बाद राज्य में आरक्षण बिल को लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि जब से केंद्र की भाजपा सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है, तब से बंगाल सरकार इसकी संवैधानिक वैधता पर सवाल उठा रही है। शुक्रवार को भी ममता ने एक बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले से सामान्य वर्ग के लोगों के प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाले बच्चों के लिए शिक्षा और नौकरियों में अवसर पहले की तुलना में कम हो जाएंगे। उन्होंने 8 लाख रुपये सालाना आय की आर्थिक सीमा पर सवाल उठाए।
कोर्ट के फैसले के बाद होगा निर्णय मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब तबके के हर व्यक्ति की पहली प्रतिस्पर्धा उससे होगी जो प्रतिमाह 60 हजार से ज्यादा रुपये कमाता है। ऐसे में किसान के बेटे को कैसे नौकरी मिलेगी? सोमवार को उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई जो घंटों चली और इसमें कुछ अहम फैसले लिए गए। पश्चिम बंगाल के शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि इस दौरान गरीबों को आरक्षण कानून पर कोई चर्चा नहीं हुई। इससे साफ स्पष्ट है कि ममता सरकार इस विधेयक को प्रदेश में लागू करने के मूड में नहीं है। अब देखना यह है अगामी लोकसभा चुनाव पर इसका क्या असर पड़ता है।