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जब लालू की गिरफ्तारी के लिए CBI ने मांगी थी सेना की मदद, तब भी हुआ था संग्राम

Published: Feb 04, 2019 04:48:29 pm

Submitted by:

Kapil Tiwari

उस समय के सीबीआई जॉइंट डायरेक्टर यू. एन. बिस्वास ने लालू को गिरफ्तार करने की हिम्मद दिखाई थी।

Lalu Prasad Yadav

Lalu Prasad Yadav

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में पुलिस और सीबीआई के बीच चल रहा टकराव अब सीधे तौर पर ममता बनर्जी और सीबीआई के बीच हो गया है। रविवार की शाम को सीबीआई ने शारदा चिट फंड घोटाले के तहत कोलकाता में पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के यहां पर छापेमारी की, जिसके बाद पुलिस और सीबीआई के बीच टकराव बढ़ गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कमिश्नर राजीव कुमार के बचाव में उतर आईं और रात को ही धरने पर बैठ गईं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद यही कहा जा रहा था कि भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, लेकिन आपको बता दें कि भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसी स्थिति पहले भी आ चुकी है।

लालू को गिरफ्तार करने के लिए मांगी थी सेना की मदद

दरअसल, बात 1997 की है, जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई ने सेना की मदद मांगी थी। लालू प्रसाद यादव के साथ हुआ ये वाकया तो काफी हैरान कर देने वाला है। उस समय सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर यू.एन. बिस्वास चारा घोटाले की जांच कर रहे थे और बिहार में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं। लालू प्रसाद यादव के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ था और यू.एन. बिस्वास लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन सीबीआई को राज्य सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की गई।

राज्य सरकार ने डाली CBI की कार्रवाई में अड़चन

तब यू.एन. बिस्वास ने पटना के एसपी से कहा कि वो लालू की गिरफ्तारी के लिए सेना की मदद लें। सीबीआई किसी भी हाल में लालू की गिरफ्तारी चाहती थी और इसके लिए सभी कानूनी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली थीं, लेकिन राज्य सरकार ने इसमें अड़चन डाली।

बिहार डीजीपी ने भी मदद से किया था इनकार

इसके बाद सीबीआई ने बिहार के चीफ सेक्रेटरी बी.पी. वर्मा से संपर्क करने की कोशि‍श की, लेकिन राज्य सरकार ने इसमें भी अड़चन डाली। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया किवो उपलब्ध नहीं हैं। परेशान सीबीआई अ‍फसरों ने इसके बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) से संपर्क किया. डीजीपी ने कहा, ‘उन्हें कुछ और समय चाहिए।’ सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर यू.एन. बिस्वास ने तब पटना के अपने एसपी से कहा कि वह लालू को गिरफ्तार करने सेना की मदद लें।

संसद में हुआ था जोरदार हंगामा

ये मामला भी संसद में पहुंचा था और इसपर जमकर हंगामा हुआ था। उस समय के गृह मंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने सदन को बताया था कि पटना के सीबीआई एसपी ने दानापुर कैंट के इंचार्ज अफसर को लेटर लिखा था। इस लेटर में लिखा गया था, ‘पटना हाईकोर्ट के मौखिक आदेश के मुताबिक आपसे यह अनुरोध है कि तत्काल कम से कम एक कंपनी सशस्त्र टुकड़ी सीबीआई पार्टी की मदद करने के लिए भेजें जो पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गैर जमानती वारंट को तामील करना चाहती है।’

सेना ने भी तत्काल मदद से किया था इनकार

इंद्रजीत गुप्ता ने सदन को बताया था कि सेना के अफसरों ने भी तत्काल मदद देने से इनकार कर दिया था। सेना के अफसरों ने कहा था कि हम सिर्फ अधिकृत सिविल अथॉरिटीज के अनुरोध पर ही नागरिक प्रशासन में किसी तरह की मदद कर सकते हैं।

बाद में यू.एन. बिस्वास शामिल हो गए थे टीएमसी में

इस पूरे विवाद के बाद सीबीआई ने कोर्ट जाने का फैसला किया। कोर्ट ने असहयोग के लिए बिहार के डीजीपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद यू.एन. बिस्वास ने लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार कर लिया था। हैरानी वाली बात ये है कि बाद में यू.एन. बिस्वास ने राजनीति में कदम रखा और उन्होंने तृणमूल कांग्रेस जॉइन की। यू.एन. बिस्वास बाद में ममता बनर्जी की सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री भी रहे।

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