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71 की हार से हेडली बन गया था शैतान, जानिए भारत से क्यों नफरत करता था डेविड?

locationनई दिल्लीPublished: Jul 24, 2018 10:55:40 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

साल 2013 में हेडली को अमरीका की शिकागो कोर्ट ने 35 साल की सजा सुनाई थी। वह सुनवाई के दौरान सरकारी गवाह बन गया था।

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71 की हार से हेडली बन गया था शैतान, जानिए भारत से क्यों नफरत करता था डेविड?

नई दिल्ली। मुंबई हमले का साजिशकर्ता डेविड कॉलमेन हेडली पर जेल में जानलेवा हमला हुआ है। खबरों के मुताबिक हेडली पर दो सगे भाईयों ने जेल में हमला कर दिया। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। जानलेवा हमले के बाद एक बार फिर से डेविड हेडली सुर्खियों में आ गया है।
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कौन है हेडली?
डेविड कॉलमेन हेडली का असली नाम दाऊद सैयद गिलानी है। हेडली ने बताया कि उसका जन्म अमरीका में 30 जून, 1960 को हुआ था। वह बाद में पाकिस्तान जाकर बस गया, जहां उसने अपना नाम बदलकर दाऊद सैयद गिलानी कर दिया। हेडली आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए दहशत फैलाने का काम करता था। उसने 2008 मुंबई हमले की साजिश रचने के लिए आंतकवादियों की मदद की थी। वर्ष 2002 से 2005 के बीच हेडली ने पाकिस्तान में लश्कर के पांच टे्रनिंग कैंप्स में हिस्सा लिया। साल 2013 में हेडली को अमरीका की शिकागो कोर्ट ने 35 साल की सजा सुनाई थी। सुनवाई में विशेष न्यायाधीश ने कुछ शर्तों के साथ सरकारी गवाह बनने को कहा था, जिसे हेडली ने कबूल कर लिया था। आतंकी हेडली को अमरीकी अदालत ने इसी शर्त पर उसे मौत की सजा देने की बजाय उम्रकैद दी थी कि वह आगे चलकर आतंकी मामलों में गवाही देगा। दिसंबर 2015 में डेविड हेडली मुंबई हमले के केस में वादा माफ गवाह बन गया था।
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‘आतंकी हाफिज सईद ने दी थी मुंबई हमले को मंजूरी’
एनआईए की तरफ से कई गई पूछताछ में हेडली ने कहा था कि मुंबई हमले की योजना को हाफिज सईद की मंजूरी थी और जकी उर रहमान लखवी ने इसकी पूरी साजिश रची। इसके अलावा पाक सेना और आईएसआई को भी इसके बारे में पूरी जानकारी थी। आईएसआई ने आतंकियों को आर्थिक मदद भी मुहैया कराई थी।
8 बार भारत आया था हेडली
2016 में जब हेडली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की गई तो उसने कई खुलासे किए। बता दें कि भारतीय कानूनी इतिहास में पहली बार हुआ कि कोई विदेशी आतंकवादी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने बयान रिकॉर्ड कराए और सबूत भी दिए। गवाही के दौरान उसने बताया कि भारत आने के लिए ही उसने अमरीकी नाम रखा। जिसके बारे में उसने साजिद मीर को भी बताया। भारत की पहली यात्रा से पहले साजिद मीर ने भारत में हमले के अपने इरादों को उजागर किया था। उसने लश्कर के आतंकी साजिद मीर की मदद से फर्जी पासपोर्ट बनवाया था। हेडली ने बताया था कि मैं 7 बार पाकिस्तान से भारत आया था, जबकि एक बार यूएई से भारत का दौरा किया था। उसने भारत में घुसने के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाने के बाद आठ बार भारत की यात्रा की थी।डेविड हेडली ने आखिरी बार 2009 में मुंबई का दौरा किया था। जिसका मतलब ये था कि 26/11 हमले के बाद भी आतंकी डेविड हेडली भारत आया था। हेडली ने अदालत के सामने स्वीकार किया कि मैं लश्कर-ए-तैयबा का कट्टर समर्थक रहा हूं।

क्यों करता था भारत से नफरत?
भारत के खिलाफ हेडली के दिल में बचपन से ही नफरत थी। विकीलीक्स की तरफ से एक खुफिया अमरीकी संदेश में पहले ही सामने आ गया था। गवाही के दौरान ही उसने बताया था कि वह बचपन से ही भारत से नफरत करता था। इसके पीछे उसने बता कि उसके मन में नफरत भारत पाक के बीच हुई 1971 की लड़ाई से पैदा हुई। उस दावा किया कि लड़ाई के दौरान भारतीय सेना के एक लड़ाकू विमान ने उसके स्कूल पर बम गिराए थे जिसमें उसके बहुत से साथी मारे गए थे। सिर्फ इसी वजह से मैंने लश्कर ए तैयबा को ज्वाइन किया था ताकि मेरे स्कूल पर बम गिराने वालों से मैं बदला ले सकूं।

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