दो घंटे के अंदर बीएमसी ने कंगना के दफ्तर को तहत नहस कर डाला। यहां जेसीबी से दफ्तर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। वहीं एक दर्जन से अधिक बीएमसी के कर्मचारियों ने कंगना के दफ्तर के अंदर घुसकर जमकर तोड़फोड़ की। हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में बीएमसी की कार्रवाई पर स्टे कर लगा दिया है यानी अब आगे ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने तोड़फोड़ पर रोक लगाते हुए ये आदेश दिए हैं। यानी अब अगर कोई कार्रवाई होनी है तो वह नहीं हो सकेगी। इस मामले में अब गुरुवार दोपहर 3 बजे हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।
कंगना की प्रॉपर्टी पर इस तरह की कार्रवाई को लेकर बुधवार को महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख मीडिया के सवालों से बचते दिखे। गौरतलब है कि कंगना के ऑफिस के बाहर बीएमसी ने आज सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर डिमॉलिशन का नोटिस चिपकाया था। ये कहा गया कि वह उनके वकील के जवाब से वे बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। इसके कुछ देर बाद बाएमसी के लोगों ने तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी। मगर सवाल ये उठता है कि वहां मौजूद अन्य निर्माण पर बीएमसी की नजर क्यों नहीं गई। आखिरकार बीएमसी ने केवल कंगाना के दफ्तर पर ही क्यों कार्रवाई की।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की सुनवाई हुई। कंगना के दफ्तर के बाहर उनके वकील मौजूद थे। कंगना के वकील रिजवान सिद्दीकी ने कार में बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट के सामने अपनी बात रखी। तोड़फोड़ से पहले कंगना के वकील ने बीएमसी से कहा कि वे कोर्ट स्टे ले रहे हैं। लेकिन बीएमसी कर्मचारियों ने उनकी एक नहीं सुनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। वकील ने सवाल उठाए हैं कि नोटिस मिलते ही कार्रवाई करना कहां का कानून है। कंगना इसे अपने सपनों का आशियाना बताती रहीं हैं। अब ये दफ्तर पूरी तरह से बबार्द हो चुका है।
कंगना के दफ्तर में बीएमसी ने कई वैध निर्माण गिनाए – ग्राउंड फ्लोर पर टॉयलेट को अवैध तरीके से ऑफिस केबिन में बदला गया।
– ग्राउंड फ्लोर पर स्टोर रूम को किचन में बदल दिया गया।
– अवैध निर्माण कर सीढ़ियों के साथ स्टोर रूम व पार्किंग में टॉयलेट बनाया।
– ग्राउंड फ्लोर पर पैंट्री का निर्माण किया गया। इसे अवैध बताया है।
– फर्स्ट फ्लोर पर लिविंग रूम में लकड़ी का पार्टिशन कर गलब तरह से कमरा और कैबिन तैयार किया।
– फर्स्ट फ्लोर पर गलब तरह से आगे की ओर एक स्लैब बनाया गया।
– दूसरे फ्लोर पर सीढ़ियों की दिशा को बदल दिया गया।
– दूसरे फ्लोर पर बालकनी में बैठने जगह शामिल की गई। पार्टिशन को हटाया
सात दिनों की मोहलत मांगी थी कंगना ने नोटिस का जवाब देने के लिए बीएमसी से सात दिनों की मोहलत मांगी थी। मगर बीएमसी उन्हें मोहलत देने को तैयार नहीं हुई। बीएमसी ने कंगना को दिए नोटिस का जवाब नहीं देने का हवाला दिया। इसके बाद बीएमएसी कर्मचारी हथौड़ और जेसीबी लेकर कंगना के दफ्तर पहुंच गए और जमकर तोड़फोड़ की।