डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का जन्म मैसूर में 1861 को हुआ था। विश्वेश्वरैया भारतीय सिविल इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे। इतना ही नहीं साल 1955 में सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। डॉ विश्वेश्वरैया ने उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई अपने जन्मस्थान से ही की। इसके बाद वे बेंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज से B.A किया।
पढ़ने में तेज होने की वजह से उन्हें सरकारी मदद मिली और वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में उन्होंने B.E की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय किया। पढ़ाई पूरी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर रख लिया।
डॉ विश्वेश्वरैया ने देश के लिए बहुत कुछ किया है। हैदराबाद शहर को बाढ़ से बचाने का सिस्टम भी विश्वेश्वरैया ने ही बनाया था अंग्रेज भी उनकी इंजीनियरिंग का लोहा मानते थे।
विश्वेश्वरैया के बारे में एक दिलचस्प किस्सा है। बताया जाता है कि वे एक बार ट्रेन से कहीं जा रहे थे। रेलगाड़ी में उनके साथ ज़्यादातर ब्रिटिश ही थे। वे सब उन्हें अनपढ़ समझ रहे थे और उन्हें बुरा भला कह रहे थे। तभी विश्वेश्वरैया ने अचानक रेल की जंज़ीर खींच दी। थोड़ी देर में गार्ड आया तो उन्होंने उससे पूछने से पहले ही बता दिया कि जंजीर उन्होंने खीचीं है।
विश्वेश्वरैया ने गार्ड से कहा मेरा अंदाजा है कि यहां से लगभग कुछ दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है, क्योंकि गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आया है और आवाज़ से मुझे खतरे का आभास हो रहा ह।. इसके बाद पटरी की जांच हुई तो पता चला उनकी बात बिल्कुल सही थ। थोड़ी दूर आगे रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए थे।