कोर्ट ने एक महिला को इसलिए राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली थी
दिल्ली। एक महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर घरेलू हिंसा कानून के तहत मुआवजा और डैमेज की मांग की थी। महिला ने कहा था कि उसके पहले पति ने उसे घर से बाहर निकाल दिया था और उससे उसकी शादी 1994 में हुई थी। इसके बाद ही उसने दूसरी शादी की थी। लेकिन कोर्ट ने एक महिला को इसलिए राहत देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली थी। कोर्ट ने कहा कि जब तक पहली शादी का अस्तित्व है, तब तक दूसरी शादी जायज नहीं है।
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट शिवानी चौहान ने कहा कि दोनों ही पार्टी एक-दूसरे के साथ वैलिड मैरेज के लिए अयोग्य हैं क्योंकि उन्होंने उचित कोर्ट से अपने-अपने पहले के साथी से तलाक नहीं लिया है। महिला को किसी तरह की राहत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि शादी की प्रकृति को देखते हुए यह मामला रिलेशनशिप के दायरे में भी नहीं आता जिससे 2005 के महिला घरेलू हिंसा बचाव कानून के तहत फायदा दिया जा सके।
कोर्ट ने इसी के साथ महिला की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने दूसरे पति के खिलाफ याचिका दायर कर घरेलू हिंसा के केस में राहत की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि महिला और उसके दूसरे पति के बीच का कथित संबंध शादी की प्रकृति को देखते हुए रिलेशनशिप के दायरे में भी नहीं आता क्योंकि इन दोनों ने अपने पूर्व साथी से अभी तक तलाक नहीं लिया है।