गृह मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्य व केंद्रशासित प्रदेश की सरकारें इन प्रावधानों पर सख्ती से अमल सुनिश्चित करे। गृह मंत्रालय की ओर से एडवाइजरी जारी कर साफ कर दिया गया है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। एडवाइजरी में गंभीर मामलों में एफआईआर दर्ज करना हर हाल में अनिवार्य होगा।
पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहा एचएएल का कर्मचारी गिरफ्तार एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर पुलिस इन प्रावधानों का पालन सही तरीके से नहीं करेगी तो महिलाओं को न्याय मिलने में दिक्कत होगी। मंत्रालय ने साफ किया है कि अगर इस मामले में लापरवाही सामने आती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है।
जीरो एफआईआर एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है। बता दें कि जीरो एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो।
Jharkhand Coal Scam: विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री समेत चार को दोषी ठहराया 2 माह में जांच का प्रावधान सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच 2 माह के अंदर समाप्त करने का प्रावधान है। अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 32(1) के अन्तर्गत मृत व्यक्ति के बयान को बयान जांच में अहम माना जाएगा।
फॉरेंसिक गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य सीआरपीसी की धारा 164-A के तहत दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा। दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है। ऐसे मामलों में फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है।