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Women Safety : गृह मंत्रालय ने जारी की नई एडवाइजरी, FIR दर्ज करने से पुलिस नहीं कर सकती इनकार

गृह मंत्रालय की एडवाइजरी के मुताबिक दो महीने में पूरी हो जांच।
लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान।
सबूत इकट्ठा करने के लिए फोरेंसिंक गाइडलाइन का पालन जरूरी।

Oct 10, 2020 / 03:15 pm

Dhirendra

गृह मंत्रालय की एडवाइजरी के मुताबिक दो महीने में पूरी हो जांच।

नई दिल्ली। कई कानूनी प्रावधानों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध का सिलसिला जारी है। पीड़ित महिला की ओर से शिकायत मिलने पर भी एफआईआर दर्ज करने को लेकर पुलिस का रवैया टालमटोल वाला होता है। लेकिन हाथरस कांड के बाद एक बार फिर महिला सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी के मुताबिक महिला अपराध को लेकर शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज करना पुलिस के लिए अनिवार्य होगा।
गृह मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्य व केंद्रशासित प्रदेश की सरकारें इन प्रावधानों पर सख्ती से अमल सुनिश्चित करे। गृह मंत्रालय की ओर से एडवाइजरी जारी कर साफ कर दिया गया है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। एडवाइजरी में गंभीर मामलों में एफआईआर दर्ज करना हर हाल में अनिवार्य होगा।
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एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर पुलिस इन प्रावधानों का पालन सही तरीके से नहीं करेगी तो महिलाओं को न्याय मिलने में दिक्कत होगी। मंत्रालय ने साफ किया है कि अगर इस मामले में लापरवाही सामने आती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। IPC की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो अधिकारी को सजा का भी प्राधान है।
जीरो एफआईआर

एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है। बता दें कि जीरो एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो।
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2 माह में जांच का प्रावधान

सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच 2 माह के अंदर समाप्त करने का प्रावधान है। अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया गया है। इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 32(1) के अन्तर्गत मृत व्यक्ति के बयान को बयान जांच में अहम माना जाएगा।
फॉरेंसिक गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य

सीआरपीसी की धारा 164-A के तहत दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा। दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है। ऐसे मामलों में फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है।

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