रिसर्च की कमी से गिरे हम
आईआईएससी की गिरती रैंकिंग के पीछे रिसर्च स्कोर में कमी है। संस्थान में रिसर्च कम हो रही है। आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर जो सर्वश्रेष्ठ भारतीय इंजीनियरिंग संस्थान थे। उनकी रैंकिंग 401-500 से 501-600 की श्रेणी में आ गई है। आईआईटी बॉम्बे की रैंकिंग में जस की तस है। यह अभी 351-400 वाली श्रेणी में जगह बनाए हुआ है। आईआईटी खडग़पुर और आईआईटी रुड़की ने भी 501-600 वाले हिस्से में अपनी जगह बनाए रखी है। शीर्ष 1,000 विश्वविद्यालयों में भारतीय विश्वविद्यालयों की तादाद 31 से घटकर 30 रह गई है।
आईआईएससी की गिरती रैंकिंग के पीछे रिसर्च स्कोर में कमी है। संस्थान में रिसर्च कम हो रही है। आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर जो सर्वश्रेष्ठ भारतीय इंजीनियरिंग संस्थान थे। उनकी रैंकिंग 401-500 से 501-600 की श्रेणी में आ गई है। आईआईटी बॉम्बे की रैंकिंग में जस की तस है। यह अभी 351-400 वाली श्रेणी में जगह बनाए हुआ है। आईआईटी खडग़पुर और आईआईटी रुड़की ने भी 501-600 वाले हिस्से में अपनी जगह बनाए रखी है। शीर्ष 1,000 विश्वविद्यालयों में भारतीय विश्वविद्यालयों की तादाद 31 से घटकर 30 रह गई है।
हमसे आगे चीन, सिंगापुर
रैंकिंग जारी करने वाले टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) ग्लोबल रैंकिंग्स के एडिटोरियल डायरेक्टर फिल बैटी ने कहा कि यह निराशाजनक है कि बढ़ते ग्लोबल कॉम्पीटिशन के बीच भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन बहुत ज्यादा अच्छा नहीं है। बैटी ने कहा कि चीन, हॉन्गकॉन्ग और सिंगापुर जैसे अन्य एशियाई देशों के प्रमुख विश्वविद्यालयों की रैंकिंग लगातार बढ़ रही है, जिसका कुछ श्रेय इन संस्थानों को मिल रहे अधिक धन को भी जाता है। लेकिन भारत का अग्रणी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस शीर्ष 200 की सूची से बाहर हो गया है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय संस्थान छाप छोडऩे में कामयाब नहीं रहे हैं। भारत में पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों को लेकर सरकार ने जो सख्ती बरती है उसका असर भी है कि वहां रिसर्च लेवल पर कम काम हो रहा है। रैंकिंग में नंबर वन यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड है जिसके बाद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी का नंबर है। कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी तीसरे नंबर पर है।