आपातकाल जैसा माहौल
यशवंत सिन्हा ने 4 जजों के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि मौजूदा हालात 1975-77 के दौरान लगे आपातकाल जैसे हो गए हैं। संसद के सत्र की अवधि कम किए जाने पर भी उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि यदि संसद के कामकाज से समझौता किया जा रहा है, सुप्रीम कोर्ट का काम सही से नहीं चल पा रहा है तो इसका अर्थ है कि लोकतंत्र खतरे में है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के 4 सबसे सीनियर जज कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। लोकतंत्र के लिए महसूस करने वाले हर नागरिक को बोलना चाहिए। मैं पार्टी नेताओं और कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्यों से भी कहूंगा कि वे अपनी आवाज बुलंद करें। मैं उनसे अपील करूंगा कि वे भय से निकलें और अपनी बात रखें। हालांकि सिन्हा ने कहा कि इस मामले से शीर्ष अदालत को खुद ही निपटना चाहिए। सिन्हा ने कहा कि जिस तरह से सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायधीश पहले स्थान पर होता है, ठीक वैसे सही कैबिनेट के साथियों के बीच प्रधानमंत्री होता है।