आने वाले दिनों में और होगी कार्रवाई ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ और अलगाववादियों पर एक्शन लेते हुए नजरबंद या गिरफ्तार किया जा सकता है। गौरतलब है कि 28 जून से अमरनाथ यात्रा भी शुरू हो रही है। ऐसे में आतंकी हमलों की आशंका को देखते हुए सुरक्षाबलों को सतर्क कर दिया गया है। गौरतलब है कि गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, रमजान के दौरान सीजफायर के बावजूद आतंकी घटनाओं में 265 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। सूत्रों के मुताबिक इसके पीछे कट्टरपंथी ताकतों के मजबूत होने को एक वजह माना जा रहा है। बीजेपी महासचिव राम माधव ने समर्थन वापसी से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात की तस्दीक की थी।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी थी चेतावनी वहीं, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी सरकार गिरने के बाद बुधवार को कहा था कि अब घाटी में आंतकी संगठनों की शामत आने वाली है। उन्होंने साफ कहा था कि अब किसी भी तरह की हरकत को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, गुरुवार को पहली कार्रवाई भी हो गई। वहीं, सेना को भी उम्मीद है कि स्थानीय नेताओं का दबाव खत्म होने से स्थानीय पुलिस ज्यादा सक्रियता के साथ आतंक विरोधी गतिविधि में सेना का साथ दे सकती है। गवर्नर रूल लागू होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर पुलिस बिना किसी राजनीतिक प्रभाव के बेहतर स्थिति में है।
एक वेबसाइट के मुताबिक, एक अधिकारी का कहना है कि रियल टाइम इन्फॉर्मेशन मिलने से आतंक के खिलाफ तेजी से कार्रवाई की जा सकती है। सेना ने अपने अति सक्रिय कार्डन एंड सर्च और सीक ऐंड डेस्ट्रॉय ऑपरेशन को जम्मू कश्मीर में फिर से लागू कर दिया है। सुरक्षा बलों को उम्मीद है कि अब इंटेलिजेंस इनपुट्स बेहतर तरीके से साझा हो सकेंगे। इसके अलावा घनी आबादी वाली जगहों पर सुरक्षा बलों की सक्रियता बढ़ाई जाएगी।