साहित्य के महाकुंभ जेएलएफ में पहली मुस्लिम महिला ने पत्रिका मुख्यालय आकर बातचीत की
जयपुर। साहित्य के महाकुंभ जेएलएफ में साहित्य और रचनाओं से जुड़ी बातें बरबस ही हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती हैं। दिग्गज साहित्यकारों से संवाद करके ही उनकी लेखनी की भीतर छिपे मर्म को समझा जा सकता है। आज पत्रिका के मुख्यालय केसरगढ़ में अंतरिक्ष में कदम रखने वाली पहली मुस्लिम महिला अनुशेष अंसारी ने अपने विचार साझा किए।
कौन हैं अनुशेष अंसारी?
अनुशेष अंसारी पहली मुस्लिम महिला है, जिसने अंतरिक्ष में कदम रखा है। पेशे से कंप्यूटर वैज्ञानिक, इलेक्ट्रीकल इंजीनियर लेखक और व्यवसाई अंसारी ने इस सपने को पूरा करने के लिए खुद ही फंडिंग की थी। अंसारी का जन्म ईरान में हुआ था, लेकिन उनका परिवार ईरान क्रांति के पांच साल बाद 1984 में यूएसए चला गया था।
भारत के बारे में क्या हैं विचार?
भारत के साथ उनका संबंध पूछे जाने पर अंसारी कहती हैं कि मेरा पिता और मैं बचपन में खूब बॉलीवुड फिल्में देखा करते थे। तभी से भारत के नजारे और यहां की अद्भुत खूबसूरती मेरे जेहन में बस गई थी। अंसारी कहती हैं कि मैं अब तक दो-तीन बार भारत आई हूं और मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा है।
कैसे बनी अंतरिक्षयात्री?
अंसारी का अंतरिक्ष में जाने का सपना बचपन का ही था। उसे हमेशा ये जानने की उत्सुकता थी कि अंतरिक्ष में क्या है? लेकिन अंसारी को यह पता नहीं था कि कभी ऐसा दिन भी आएगा कि उसका ये सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने यह सपना पूरा करने में उनकी बहुत मदद की। अंसारी का मानना है कि यदि आप अपने परिवार को यह दिखाते हैं कि आपमें टैलेंट है और आप यह कर सकते हैं तो निश्चित ही परिवार आपकी मदद करता है।
कैसा था अंतरिक्ष का अनुभव?
अनुशेष का मानना है कि अंतरिक्ष में जाने से आप खुद के बारे में बहुत कुछ जान पाते हैं। यह आपको अपने बारे में जानने का मौका देता है। उनका कहना है कि मुझे किताब लिखने का खयाल अंतरिक्ष से लौटने के बाद ही आया।
क्या एलियन होते हैं?
इस सवाल पर अंसारी ने तपाक से जवाब दिया कि हां मैं 100% यकीन करती हूूं कि एलियन होते हैं। उनका मानना है कि अभी ब्रह्माण्ड में बहुत कुछ खोजने के लिए बाकी है और अभी हम बहुत छोटा हिस्से के बारे में जानते हैं।
क्या हैं युवाओं के लिए राय?
इस सवाल पर अंसारी कहती हैं कि व्यक्ति को जीवन में रुकना नहीं चाहिए। बहुत सी चीजें आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं। खुद को रोकना नहीं चाहिए। दुनिया में सीमाओं जैसी कोई चीज नहीं है।