हिंदुस्तान की मौजूदा योजनाएं यूं ही रह जाएंगी क्योंकि तीन दशक बाद 2050 तक देश में 65 वर्ष से ज्यादा आयु के लोग तीन गुणा संख्या में होंगे।
भविष्य की चिंता जरूरी क्योंकि भारत की मौजूदा युवाशक्ति 2050 में तक जाएगी बुजुर्ग
नई दिल्ली। आने वाले तीन दशकों में भारत की मौजूदा यही युवाशक्ति ही इसके लिए समस्या बन जाएगी। अमरीका के पॉपुलेशन रेफरेंस ब्यूरो के ताजा अध्ययन बताते हैं कि हिंदुस्तान की मौजूदा योजनाएं यूं ही रह जाएंगी क्योंकि तीन दशक बाद 2050 तक देश में 65 वर्ष से ज्यादा आयु के लोग तीन गुणा संख्या में होंगे। इसके साथ ही हिंदुस्तान की गिनती दुनिया के बुजुर्ग मुल्कों में की जाने लगेगी।
मौजूदा वक्त में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा दिए जा रहे ‘यंग इंडिया’, ‘युवा भारत’ या ‘नया भारत’ जैसे नाम आने वाले वक्त में दिक्कत की वजह बन जाएंगे। अमरीकी ब्यूरो की स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक हिंदुस्तान की जनसंख्या तकरीबन 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इन अगले 32 सालों में बच्चों की संख्या (15 साल से कम उम्र के) में करीब 20 फीसदी की कमी आएगी, जबकि 65 वर्ष या इससे ज्यादा आयु के बुजुर्गों की संख्या तीन गुना तक बढ़ जाएगी।
मौत का मौसम बना मानसूनः देशभर में बारिश और बाढ़ से 1,276 की मौत दुनिया भर में जनसांख्यिकीय आंकड़े उपलब्ध कराने वाली पीआरबी का मानना है कि 2018 में देश की बच्चों की मौजूदा वृद्धि दर 28 फीसदी है, जो वर्ष 2050 में घटकर 19 फीसदी पहुंच जाएगी। जबकि इसकी तुलना में 65 साल से ज्यादा के बुजुर्गों की वृद्धि दर का अनुपात छह से दोगुना होकर 13 फीसदी हो जाएगा।
अगले इन 32 वर्षों में होने वाले इस बड़े बदलाव पर पंचशील पार्क स्थित मैक्स मल्टी स्पेशियलिटी सेंटर के जनरल फीजिशियन डॉ. जीएस ग्रेवाल ने कहा, “जी हां, यह सही है, क्योंकि यह प्रजनन में कमी और जीवन जीने की उच्च प्रत्याशा का युग है। बुजुर्ग आबादी की संख्या में बढ़ोतरी की दर समग्र आबादी की संख्या में वृद्धि से कहीं अधिक है।”
कुछ वक्त पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में जानकारी दी थी कि बुजुर्गों की आबादी 2050 तक बढ़कर 34 करोड़ पहुंचने की संभावना है। यह आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के अनुमानित 31.68 करोड़ से थोड़े ज्यादा हैं और यह साफ ईशारा करते हैं कि हिंदुस्तान अनुमान से अधिक तेजी से बुजुर्ग हो रहा है। स्वास्थ्य शिक्षा में हुई प्रगति ने इस रुख में बदलाव लाने में एक अहम भूमिका निभाई है।
आंध्र प्रदेश में ‘नागराज’ का प्रकोप, सरकारी विभाग कराएगा ‘सांप शांति हवन’ हालांकि क्या बूढ़ों की तुलना में युवाओं की संख्या में आने वाली कमी से क्या युवाओं में खराब स्वास्थ्य की पता चलती है, के जवाब में डॉ. ग्रेवाल कहते हैं, “नहीं, यह अंतर निर्भर जनसंख्या से संबंधित है, जैसे 15 वर्ष से मध्यम आयु। देश में अब 16-65 की उम्र को कामकाजी आबादी माना जाता है।”
वहीं, सांख्यिकी मंत्रालय की 2017 में जारी रिपोर्ट मेें बताया गया कि देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या में पिछले 10 वर्षों में 35.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जहां 2001 में देश में बुजुर्गों की संख्या 7 करोड़ 60 लाख थी, 2011 में यह बढ़कर 10 करोड़ 30 लाख पहुंच गई।
बलात्कार के दोषी राम रहीम का रोहतक जेल में 20 किलो घटा वजन और मजदूरी में मिले 6 हजार इन आंकड़ों की मानें तो केरल, गोवा, तमिलनाडु, पंजाब और हिमाचल प्रदेश फिलहाल देश की सर्वाधिक बुजुर्ग आबादी वाले राज्य हैं। केरल में कुल आबादी का 12.6 फीसदी, गोवा में 11.2 फीसदी, तमिलनाडु में 10.4, पंजाब में 10.3 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में कुल आबादी का 10.2 फीसदी हिस्सा बुजुर्गों का है।
अगर बात करें सबसे कम बुजुर्ग संख्या वाले राज्यों की, तो अरुणाचल प्रदेश में 4.6 फीसदी, मेघालय में 4.7, नागालैंड में 5.2 फीसदी, मिजोरम में 6.3 फीसदी और सिक्किम में 6.7 फीसदी बुजुर्ग रह रहे हैं।