मीडिया और विज्ञापनों की दुनिया में हिंदी
मीडिया और विज्ञापनों की दुनिया में हिंदी ने अपना नया स्वरूप गढ़ा है। इसे गढऩे वाले कोई पुराने लोग नहीं युवा ही हैं। यानी हिंदी समय से कदमताल करते हुए लगातार एक नए भारत को गढ़ रही है, जो हिंग्लश से होते हुए अब हिंदीस्तान की अवधारणा के साथ आगे बढ़ रही है। ऐसे में हिंदी एक ओर देश के सुदूर गांव-देहात में रहने वाले के साथ है तो दूसरी ओर संचार माध्यमों से जुड़े महत्वकांक्षी युवा के साथ भी। यानी हिंदी अपने हर रूप में हर जगह मौजूद है…
बाजार के जरिए पैठ बढ़ा रही है हिंदी…
तकनीक के दौर में भाषाओं के अस्तित्व पर खतरे की बात की जाती है। किंतु यह ऐसा समय भी है, जहां कुछ भाषाएं पूरी गरिमा के साथ उपस्थिति दर्ज करा रही हंै और युवाओं की भाषा के रूप में सामने आ रही हैं। हिंदी इसी कतार में है। कई चुनौतियों का सामना करते हुए हिंदी आज तकनीक के साथ कदमताल कर रही है। भारत को खुले बाजार के रूप में देखने वाली मल्टीनेशनल कंपनियां भी युवाओं को लुभाने के लिए हिंदी का सहारा ले रही हैं। गूगल से एपल तक तकनीक में हिंदी का लोहा मान चुकी हैंं। चीन और यूरोप भी हिंदी में भविष्य देख रहे हैं। इस दौर में हिंदी का जो रूप सामने आ रहा है, उस पर भले किंतु-परंतु होता रहे, लेकिन यह कवायद किसी न किसी रूप में हिंदी को आगे बढ़ाने का काम ही कर रही है। यहां तक कि भारतीय युवाओं को आकर्षित करने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां हिंदी में लिखने और सर्च इंजन बनाने तक में अपनी ऊर्जा और धन खर्च कर रही हैं। इसके साथ ही हिंदी में पढ़ाई के अवसर भी बढ़ रहे हैं। हाल ही में चीन ने अपने विश्वविद्यालयों में हिंदी के नए कोर्स शुरू किए हैं, तो अमरीका में 45 विवि हिंंदी पढ़ा रहे हैं। भारत के राजनीतिक और तकनीकी ताकत और रुतबे के बीच हिंदी का दायरा बढऩा भी तय है। इसके बावजूद कुछ सवाल हैं, जो हिंदी के आगे हमेशा आते हैं। इनके जवाब हमने हिंदी के जरिएआगे बढऩे वाले युवाओं और हिंदी को आगे बढ़ा रहे विशेषज्ञों से जाने…