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छोटे भाई की साईकिल के लिए मज़दूर बनी 12 साल की बच्ची, रुला देगा पीछे का सच

Published: Jan 13, 2018 03:38:34 pm

Submitted by:

Sunil Chaurasia

रोतना ने बताया कि पहले दिन काम से लौटने के बाद उसकी मां ने उसे अपनी छाती से लगाकर खूब आंसू बहाए।

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नई दिल्ली। 6 साल की उम्र में ही रोतना अख्तर के पिता का देहांत हो गया था। परिवार का सारा बोझ मां के कंधों पर आ चुका था। रोतना का एक छोटा भाई राणा भी है। रोतना ने बताया कि पिता की मौत के बाद उन्हें कई दिनों तक भूखे पेट सोना पड़ा। एक कमरे का घर किराए पर लिया था, उसका किराया देने के लिए उनके पास पैसे भी नहीं थे। रोतना ने बताया कि पिता की मौत के बाद वे सड़कों पर आ गए थे। रोतना की मां अपने बेटे का कलेजे से लगाकर रोज़ाना रोती थी, कि अब उनकी आगे की ज़िंदगी कैसे गुज़रेगी।
पिता की मौत के बाद रोतना की मां रीना अख्तर ने बच्चों का पेट भरने के लिए एक ईंट के भट्टे में मज़दूरी का काम शुरु कर दिया। रीना वहां ईंटों को तोड़ने का काम करती हैं। रोतना ने बताया कि वहां एक ईंट तोड़ने के 1 टका मिलते हैं। इतने कम पैसों में 3 लोगों का परिवार चलाना काफी मुश्किल था। इसलिए उसने अपनी मां के साथ ईंट तोड़ने के काम को शुरु करने का फैसला लिया।
रोतना ने बताया कि पहले दिन काम से लौटने के बाद उसकी मां ने उसे अपनी छाती से लगाकर खूब आंसू बहाए। रीना अपनी नन्ही बेटी से मजदूरी नहीं कराना चाहती थी। रोतना अभी 12 साल की है, उसने बताया कि उसके पिता दोनों बच्चों को पढ़ने-लिखने के लिए स्कूल भेजना चाहते थे। रोतना ने बताया कि पहले दिन वो सिर्फ 30 ईंट ही तोड़ पाई थी। लेकिन अब वो रोज़ाना 125 ईंट तोड़ लेती है, जिसके उसे 125 टका मिल जाते हैं।
रोतना ने बताया कि कई बार ईंट तोड़ते हुए उसकी उंगलियों पर भी हथौड़ा लग जाता है। ऐसे में काम करना काफी मुश्किल होता है। रोतना का लक्ष्य है कि वो मां के साथ-साथ घर का खर्च चलाने के साथ ही अपने छोटे भाई के लिए एक साईकिल भी खरीदना चाहती है। इसके लिए वो अब ओवरटाइम करने लगी है। रोतना ने बताया कि वो तो शायद अब पढ़ाई नहीं कर पाएगी लेकिन वो अपने भाई को पढ़ाना चाहती है।
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