इन लोगों में पंजाब के 56, गुजरात के 12, उत्तर प्रदेश के पांच, महाराष्ट्र के चार, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु के दो-दो और आंध्र प्रदेश तथा गोवा का एक-एक व्यक्ति है। उन्होंने बताया कि ये लोग अमरीका की 95 जेलों में बंद 1,739 भारतीयों में शामिल हुए हैं। इन लोगों को अवैध तरीक से अमरीका में प्रवेश की कोशिश में गिरफ्तार किया गया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमरीका ने 2018 में 611 और 2019 में 1,616 भारतीयों को वापस भेजा था। 161 लोगों में तीन महिलाएं हैं और हरियाणा का 19 वर्षीय एक किशोर भी शामिल है। अमरीकी जेलों में बंद अन्य भारतीय नागरिकों के साथ क्या होगा। इसकी अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
हिरासत में लिए गए अधिकतर लोगों ने शरण मांगी थी और दावा किया था कि उन्होंने अपने देश में हिंसा या उत्पीड़न झेलनी पड़ी है। सुनवाई के दौरान अमरीकी न्यायाधीश हालांकि बीते कई वर्षों से उनकी याचिका को खारिज कर दिया। वर्षों से उनके साथ काम कर रहे चहल ने आरोप लगाया कि उत्तर भारत, विशेष रूप से पंजाब में मानव तस्करों का गिरोह इन्हें गुमराह करता आया है। विशेष सांठगांठ से युवाओं को अपने घर छोड़ने और अवैध रूप से अमरीका में प्रवेश के लिए उकसाया जाता है। ये एजेंट करीब 30 -35 लाख रुपये लेते हैं। बयान में चहल ने पंजाब और केन्द्र सरकार से ऐसे अवैध कामों में संलिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील की है।