यह ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को दर्शाता है। गौरतलब है कि इस साल मजबूत अलनीनो की उपस्थित का अभाव देखा गया। ऐसी घटनाएं आमतौर पर सबसे गर्म वर्षों से जुड़ी होती हैं। यह दीर्घकालिक, मानव-कारण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है और विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार,लगभग 85 प्रतिशत संभावना है कि राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन NOAA के डेटा सेट के अनुसार इस साल को दूसरे-गर्म दिन के रूप में रैंकिंग दी जाएगी। यह भी संभावना है कि इस रैकिंग में यह नंबर तीन पर भी जा सकती है। कुल मिलाकर,यह लगभग निश्चित है कि 2019 दुनिया के लिए शीर्ष-पांच-गर्म वर्ष होगा।
NOAA के अनुसार इस साल अक्टूबर में औसत वैश्विक भूमि और समुद्र की सतह का तापमान 20 वीं सदी के औसत तापमान से 1.76 डिग्री (0.98 डिग्री सेल्सियस) से अधिक था। 2015 में रिकॉर्ड सबसे गर्म अक्टूबर रहा। इसका तापमान 0.11 डिग्री था। उल्लेखनीय रूप से, 2003 के बाद से 10 सबसे गर्म अक्टूबर माह रहा। वहीं 2015 के बाद से शीर्ष पांच सबसे गर्म महीने रहे।
अक्टूबर 2019 20 वीं सदी का 43वां सबसे गर्म अक्टूबर था। कुल 418 अक्टूबर में से 43 अक्टूबर किसी आम आदमी ने कूलर में अपना दिन बिताया होगा। इस साल वैश्विक भूमि और महासागर का तापमान 20 वीं सदी के औसत से 1.69 डिग्री (0.94 डिग्री सेल्सियस) ऊपर पाया गया है।
अन्य एजेंसियां जो वैश्विक तापमान को ट्रैक करती हैं, 2019 एनओएए की तुलना में थोड़ा अलग रूप से रैंक कर सकती हैं। हालांकि उनका समग्र डेटा समान होने की संभावना है। इस मामले में NASA ने भी अपना विश्लेषण दे चुका है कि अंटार्टिका में लगातार बर्फ पिघल रही है। इसका कारण ग्लोबल वार्मिंग को बताया गया है। दूसरी ओर एनओएए ने आर्कटिक के इन हिस्सों को अपने डेटा से बाहर रखा है।
गंभीर विश्लेषण के अनुसार इस स्थिति का कारण कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि है। मानव गतिविधियां,अर्थात् ऊर्जा के लिए कोयला और तेल जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाना,ग्रीनहाउस गैसों के मुख्य कारण हैं। एनओएए के अनुसार, उत्तरी और पश्चिमी प्रशांत महासागर, पूर्वोत्तर कनाडा के कुछ हिस्सों में रिकॉर्ड गर्म अक्टूबर तापमान देखा गया। साथ ही दक्षिण अटलांटिक महासागर, अफ्रीका, यूरोप, मध्य पूर्व, हिंद महासागर और दक्षिण अमरीका के कुछ हिस्सों में यह तापमान बढ़ता घटता दिखाई दिया।