SpaceX ने लॉन्च किया दुनिया का सबसे शक्तिशाली फॉल्कन हैवी रॉकेट, ये खूबियां बनाती हैं खास
वैज्ञानिकों का तर्क
वैज्ञानिकों ने कहा है कि फॉल्कन 9 कम पेलोड होने कारण झुक गया था और सीधे ही धरती की कक्षा से बाहर निकल गया। यही कारण है कि आयनमंडल को ज्यादा नुकसान पहुंचा और अंतरिक्ष में 17.70 लाख वर्ग किलोमीटर तक इसका असर महसूस किया गया।
बता दें कि यह किसी रॉकेट द्वारा उत्पन्न सबसे बडा तरंग था। सामान्य तौर पर कोई भी रॉकेट कर्व के साथ उड़ान भरती हैं। क्योंकि कर्व रुप में पृथ्वी के गरूत्वाकर्षण बल से होने वाले खिंचाव को कम करने में रॉकेट को मदद मिलती है। इसलिए कोई भी रॉकेट पृथ्वी की कक्षा से आसानी से बाहर निकल जाता है। और पृथ्वी के ऊपरी परत (जैसे क्षोभमंडल, आयन मंडल, ओजोन मंडल आदि) को हानि नहीं पहुंचती है।
आपको यह भी बता दें कि ताइवान के कुछ शोधकर्ताओं ने बताया है कि फॉल्कन 9 से आयनमंडल में छेद होने का एक दूसरा कारण भी है। शोधकर्ताओं ने आशंका जताते हुए बताया कि मंडल में मौजूद कणों के साथ रॉकेट के डैनों में मौजूद पदार्थों की अभिक्रिया हो गई थी। इसके कारण स्थिति ज्यादा विस्फोटक हो गई। क्योंकि रॉकेट के लांच होने के 13 मिनट बाद ही आयनमंडल में छेद हो गया था। साथ ही पृथ्वी पर जीपीएस और नेविगेशन सिस्टम में बाधा उत्पन्न हुई थी।
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आयनमंडल क्या है
आपको बता दें कि पृथ्वी से लगभग 80 किलोमीटर के बाद का संपूर्ण वायुमंडल आयानमंडल कहलाता है। आयतन में आयनमंडल अपनी निचली हवा से कई गुना अधिक है लेकिन इस विशाल क्षेत्र की हवा की कुल मात्रा वायुमंडल की हवा की मात्रा के 200वें भाग से भी कम है। आयनमंडल की हवा आयनित होती है और उसमें आयनीकरण के साथ-साथ आयनीकरण की विपरीत क्रिया भी निरंतर होती रहती हैं। आयनमंडल में आयन और इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं जो रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर भेजने में मददगार होते हैं। यही वजह है कि संचार उपग्रहों को इसकी कक्षा में स्थापित किया जाता है। जीपीएस और नेविगेशनल सेटेलाइट को भी इसी कक्षा में स्थापित किया जाता है। धरती पर संचार व्यवस्था को सुचारु रखने में आयनमंडल की भूमिका बेहद अहम होती है।