सिर्फ अमेरिका के इतिहास में ही नहीं बल्कि पूरे संसार में ये वाला मामला काफी चर्चित है। अमेरिका में हुए इस मास सुसाइड केस ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। साउथ अमेरिका में स्थित गुयाना का जोंसटाउन आज भी उन पलों को याद करके सिहर उठता है जब सैकड़ों की तादाद में लोगों ने सिर्फ एक शख्स की वजह से आत्महत्या कर ली थी। इस मास सुसाइड को दुनिया भर के सबसे बड़े जनसंहारों में से एक माना जाता है।
चलिए अब इस कहानी के मेन टॉपिक पर आते हैं। इंडियाना में जन्मा जिम जोंस एक कम्युनिस्ट था। जो यह दावा करता था कि वह लोगों का मसीहा है। वैसे अभी आगे की कुछ लाइनों में ऐसा ही लगेगा कि वाकई में एक मसीहा था। लेकिन जैसे-जैसे आप स्टोरी में आगे बढ़ेंगे, आपको पता चलेगा कि वह कितना बड़ा जल्लाद था। 1956 में जोंस ने एक चर्च बनवाया था। उसने चर्च का नाम पीपल्स टेंपल रखा था, जो इंडियाना में ही बनाया गया था। चर्च बनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य था कि उससे लोगों की मदद की जा सके।
जिम के विचारों ने लोगों के दिल और दिमाग पर इतना गहरा असर डाला कि अनगिनत लोग उसे फॉलो करने लगे। कुछ समय के बाद जोंस ने चर्च को रेडवुड वैली में शिफ्ट करा दिया, जो कैलिफॉर्निया में है। इसके पीछे का मेन रीज़न ये था कि जोंस की सोच अमेरिकी सरकार से काफी अलग थी। यहां आते ही जिम के फॉलोअर्स को उसकी सारी सच्चाई के बारे में पता चल गया। यहां आने के बाद जोंस अपने फॉलोअर्स से करीब 12 घंटे काम कराता था। इसके साथ ही वे लोग रात में सो भी नहीं पाते थे क्योंकि जोंस लाउडस्पीकर पर भाषण देता था।
जोंस के कारनामों के बाद अमेरिका की सरकार ने उन्हें वहां से निकालना चाहा तो ये तानाशाह पागल हो गया। जोंस ने अपने फॉलोअर्स से कहा कि अमेरिकी सरकार उनके साथ क्रूर बर्ताव कर रही है, इसलिए मैं आपसे अपील करता हूं कि आप सभी लोग सुसाइड कर लें। जोंस के कई फॉलोअर्स ने तो इस अपील को मान लिया और ज़हर खाकर मर गए। बाकि के बचे लोगों को ज़बरदस्ती ज़हर दे दिया गया था, जिसके बाद उनकी भी मौत हो गई। इस बड़े जनसंहार में करीब 912 लोगों की मौत हुई थी।