scriptकई बीमारियों से जूझ रहे इस बच्चे को चाहिए थी ममता की छांव, एक हवाई टिकेट ने बदल दी जिंदगी | a mother of two traveled 8916 Km to save adopt a special needs baby | Patrika News

कई बीमारियों से जूझ रहे इस बच्चे को चाहिए थी ममता की छांव, एक हवाई टिकेट ने बदल दी जिंदगी

locationनई दिल्लीPublished: Mar 03, 2018 10:44:40 am

Submitted by:

Priya Singh

लोग रयान की तस्वीर देखकर उसे कंकाल का बच्चा बुला रहे थे।

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नई दिल्ली। रयान कुपोषित पैदा हुआ था वह हड्डियों का ढांचा मात्र बन गया था। लोग रयान की तस्वीर देखकर उसे कंकाल का बच्चा बुला रहे थे। यूएसए से बुल्गारिया, जाना काफी लंबा सफर है लेकिन इस बच्चे को बचने के लिए एक महिला ने बिना समय गवाए यूएसए से बुल्गेरिया के लिए टिकेट बुक कर ली। आखिर क्यूं कोई अंजान किसी के लिए इतना करेगा? ये सवाल आपके मन में भी उठ रहा होगा। रयान का जीवन इतना आसन नहीं था कुपोषित होने के साथ-साथ वो बौनेपन का भी शिकार था। जब से वो पैदा हुआ बस संघर्ष ही करता रहा। रयान की जिंदगी तब बदल गई जब उसका वीडियो प्रिस्सिल्ला ने सोशल मीडिया पर देखा।
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प्रिस्सिल्ला ने 8916 किलोमीटर की यात्रा कर रयान को नया जीवन देने का फैसला किया। प्रिस्सिल्ला जब वहां पहुंची वो रयान ही हालत देखकर घबरा गई वो इतनी दरी हुई थी के वो सोचने लगी कि गोद लेने में जो कागजी कार्यवाई में समय लगेगा कहीं इतनी देर तक रयान जिंदा रह भी पाएगा कि नहीं। हालांकि नवंबर 2015 में प्रिस्सिल्ला रयान के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका लौटी। पहुंचते ही रयान को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक खुद डॉक्टर उसे देख अपने आंसू रोक नहीं पाते थे। शुरुवाती उपचार में रयान को एक ट्यूब के माध्यम से खिलाया जाता था।
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इसके बाद रयान का उपचार जोरों शोरों से चलने लगा और धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार आता रहा। कई बीमारियों से जूझते रयान का जीवन अब सही दिशा में है आज वो 9 साल का हो गया है और सामान्य बच्चों की तरह स्कूल भी जाता है। रही बात प्रिस्सिल्ला तो रयान को लेकर वे बताती हैं कि “उसे देखकर मुझे भाई याद आता है वे बताती हैं जब मैं और मेरा भाई छोटे थे तो हमें भी गोद लिया गया था मेरा भाई भी ऐसी ही बिमारी से ग्रसित था और जल्दी ही हमें छोड़ इस दुनिया से चला गया, तब मैं मजबूर और असहाय थी लेकिन अब जब मई कुछ कर सकती हूं तो रयान को ऐसी हालत में छोड़ना मेरे लिए बहुत मुश्किल चीज थी।” प्रिस्सिल्ला के इस कदम से आज एक मासूम बचपन सुधर गया। प्रिस्किल्ला और रयान के जीवन की ये यात्रा वास्तव में प्रेरणादायक है।
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