प्रिस्सिल्ला ने 8916 किलोमीटर की यात्रा कर रयान को नया जीवन देने का फैसला किया। प्रिस्सिल्ला जब वहां पहुंची वो रयान ही हालत देखकर घबरा गई वो इतनी दरी हुई थी के वो सोचने लगी कि गोद लेने में जो कागजी कार्यवाई में समय लगेगा कहीं इतनी देर तक रयान जिंदा रह भी पाएगा कि नहीं। हालांकि नवंबर 2015 में प्रिस्सिल्ला रयान के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका लौटी। पहुंचते ही रयान को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। अंग्रेजी अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक खुद डॉक्टर उसे देख अपने आंसू रोक नहीं पाते थे। शुरुवाती उपचार में रयान को एक ट्यूब के माध्यम से खिलाया जाता था।
इसके बाद रयान का उपचार जोरों शोरों से चलने लगा और धीरे-धीरे उसकी हालत में सुधार आता रहा। कई बीमारियों से जूझते रयान का जीवन अब सही दिशा में है आज वो 9 साल का हो गया है और सामान्य बच्चों की तरह स्कूल भी जाता है। रही बात प्रिस्सिल्ला तो रयान को लेकर वे बताती हैं कि “उसे देखकर मुझे भाई याद आता है वे बताती हैं जब मैं और मेरा भाई छोटे थे तो हमें भी गोद लिया गया था मेरा भाई भी ऐसी ही बिमारी से ग्रसित था और जल्दी ही हमें छोड़ इस दुनिया से चला गया, तब मैं मजबूर और असहाय थी लेकिन अब जब मई कुछ कर सकती हूं तो रयान को ऐसी हालत में छोड़ना मेरे लिए बहुत मुश्किल चीज थी।” प्रिस्सिल्ला के इस कदम से आज एक मासूम बचपन सुधर गया। प्रिस्किल्ला और रयान के जीवन की ये यात्रा वास्तव में प्रेरणादायक है।