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ब्लैकहोल से डरा सूर्य से 2 गुना बड़ा तारा S5-HVS1, हमारी आकाशगंगा से भाग रहा है दूर

locationनई दिल्लीPublished: Nov 19, 2019 10:13:32 am

Submitted by:

Anil Kumar

खगोलविद यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गाया स्पेसक्राफ्ट की मदद से एस 5-एचवीएस1 तारा पर नजर रख रहे हैं
यह तारा हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 40 लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से बाहर जा रहा है

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वाशिंगटन। अतंरिक्ष रहस्यों से भरा है और दुनियाभर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजनों में जुटे हैं। अतंरिक्ष में हर पल कुछ न कुछ ऐसी घटना घटित होते रहता है, जो बहुत ही अद्भुत और रोमांचकारी होता है। ऐसे ही एक अनूठी घटना सामने आई है।

दरअसल, खगोलविदों ने एक ऐसे तारे का पता लगाया है जो हमारी आकाशगंगा से बहुत तेजी के साथ दूर जा रहा है। माना जा रहा है कि यह तारा ब्लैकहॉल से डरकर भाग रहा है। यह तारा हमारी आकाशगंगा के केंद्र से 40 लाख मील प्रति घंटे की रफ्तार से बाहर जा रहा है।

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खगोलविदों ने अनुमान लगाया है कि यह तारा इस समय धरती से करीब 29 हजार प्रकश वर्ष दूर है। इस तारा का नाम एस5-एचवीएस1 रखा गया है।

सूर्य से दो गुना बड़ा है यह तारा

कार्नेगी ऑब्जरवेटरी के खगोलविदों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इस तारे का पता लगाया है। कार्नेगी ऑब्जरवेटरी की अगुवाई करने वाले खगोलविद टिंग ली ने बताया कि इस तारे का अध्ययन करने से लिए ऑस्ट्रेलिया में स्थापित सदर्न स्टेलर स्ट्रीम स्पेक्ट्रोस्कोपिक सर्वे टेलीस्कोप का उपयोग कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि यह तारा सूर्य से दो गुना बड़ा और 10 गुना ज्यादा चमकीला है। ली ने कहा कि एस5-एचवीएस1 तारा गहरे अंतरिक्ष की ओर बहुत ही तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है।

इस अप्रत्याशित घटना पर नजर रखने के लिए खगोलविद यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गाया स्पेसक्राफ्ट की मदद ले रहे हैं। ली ने कहा कि एस 5-एचवीएस 1 तारा सेगिटेरियस-ए नाम के ब्लैकहोल से बचकर दूर भाग रहा है।

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इस ब्लैकहॉल का वजन (द्रव्यमान) सूर्य से 40 लाख गुना अधिक है। मालूम हो कि गाया स्पेसक्राफ्ट की मदद से खगोलविदों ने अब तक 1.3 अरब तारों की स्थिति का खाका तैयार किया है।

आकाशगंगा से बाहर जाने में लगेंगे दस करोड़ साल

खगोलविदों का मानना है कि यह तारा दो तारा प्रणाली का हिस्सा रहा होगा। जब यह ब्लैकहोल के बेहद करीब पहुंचने के बाद एक तारा ब्लैकहोल में समा गया, जबकि दूसरा लगातार उससे दूर भागता जा रहा है।

खगोलविदों को कहना है कि यदि इसी गति से एस 5-एचवीएस1 चलता रहा तो उसे आकाशगंगा से बाहर निकलने में तकरीबन दस करोड़ साल लग जाएंगे। कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के जैक हिल्स ने 50 साल पहले 1988 में सबसे पहले आकाशगंगा से इस तारे के निकलने का अनुमान लगाया था।

क्या होता है ब्लैकहोल

ब्लैकहोल अंतरिक्ष का सबसे रहस्यमय जगह है। इसकी संरचना इतनी रहस्यमय और जटिल है कि अब तक इसके बारे में ठीक से कुछ भी ज्ञात नहीं है। इसे ब्लैकहोल इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां प्रकाश भी नहीं पहुंच पाता है।

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इसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक है कि कोई भी खगोलीय पिंड इसके पास से गुजरता है तो वह इसके अंदर समा जाता है।

खगोलविदों का मानना है कि अंतरिक्ष में कई आकाशगंगा मौजूद है और हर आकाशगंगा के केंद्र में एक ब्लैकहोल है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी विशाल तारा अपने अंतिम समय में ब्लैकहोल में बदल जाता है।

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