18 साल के अमरीका-तालिबान संघर्ष के बाद यह एक अहम पहल है। दोनों पक्षों के बीच बातचीत यूएस-तालिबान वार्ता के एक सप्ताह बाद हो रही है। अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने इस वार्ता के पहले ट्वीट किया कि अफगान शांति सभा लंबे समय के बाद एकत्र हो रही है। उन्होंने अपने ट्वीट में साथ आने के लिए अफगान सरकार, नागरिक समाज, महिलाओं और तालिबान की प्रशंसा की।
अफगान शांति वार्ता के लिए कतर में सातवें दौर की बैठक, खत्म होगी 18 साल पुरानी जंग!
क्या चाहता है वाशिंगटन
उधर वाशिंगटन ने कहा है कि वह सितंबर में होने वाले अफगान राष्ट्रपति चुनावों से पहले तालिबान के साथ एक राजनीतिक समझौते तक पहुंचना चाहता है। आपको बता दें कि जर्मनी और कतर द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय सभा में लगभग 70 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
जर्मन प्रतिनिधि मार्कस पोटज़ेल ने रविवार को सभा का उद्घाटन करते हुए कहा, “इतिहास याद रखेगा कि कौन से देश अपने मतभेदों को किनारे रख बात करने में सक्षम हैं।
क्या चाहता है तालिबान
तालिबान ने समझौता करने के लिए ” शासन में महिलाओं की भूमिका, आर्थिक विकास और अल्पसंख्यकों की भूमिका के बारे में बात की। कतरी विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी ने ट्विटर पर कहा कि वह “एक रचनात्मक बातचीत के लिए तत्पर” हैं।
अमरीका के के प्रमुख वार्ताकार ख़लीलजाद ने शनिवार को कहा कि यूएस-तालिबान वार्ता का नवीनतम दौर सबसे अधिक फायदेमंद रहा है। उधर तालिबान ने कहा कि वे बातचीत की “प्रगति से खुश हैं”। यूएसए दो दिवसीय अफगान शिखर सम्मेलन में सीधे भाग नहीं ले रहा है।
तालिबान ने भी राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया है और जोर देकर कहा है कि जो लोग भाग ले रहे हैं, वे सक्षम लोग हैं। गनी प्रशासन को तालिबान एक कठपुतली शासन मानता है।
विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..