script24 साल बाद पाक की जनता से वोट मांगते दिखेंगे आसिफ अली जरदारी | After 24 year Asif Ali Zardari will stand in election | Patrika News

24 साल बाद पाक की जनता से वोट मांगते दिखेंगे आसिफ अली जरदारी

locationनई दिल्लीPublished: May 28, 2018 02:12:07 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह की इफ्तार पार्टी में जरदारी ने इस बात की घोषणा की।

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24 साल बाद पाक की जनता से वोट मांगते दिखेंगे आसिफ अली जरदारी

लाहौर। पाकिस्तान में इस साल जुलाई में आम चुनाव होने वाले हैं,मगर इससे पहले ही देश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। आम चुनाव में कई बड़े-बड़े नाम उतरने को तैयार हैं। इनमें से एक पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी हैं, जो 24 साल बाद नवाबशाह की संसदीय सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह की इफ्तार पार्टी में रविवार को 62 वर्षीय जरदारी ने इस बात की घोषणा की। वह नेशनल एसेम्बली के लिए कराची की ल्यारी सीट से 1990 और नवाबशाह से 1993 में चुने गए थे। उन्होंने कहा कि पहले वह ल्यारी से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने गृह नगर से लड़ने का फैसला किया। वह 2008 से 2013 के बीच पाकिस्तान के 11वें राष्ट्रपति रह चुके हैं।
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पाक में होगा त्रिकोणीय मुकाबला

इस चुनाव में जरदारी की पार्टी पीपीपी, नवाज शरीफ की सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा। जरदारी के शुरुआती राजनीतिक सफर को देंखे तो उन्हें पहले काफी निराशा सामना करना पड़ा। 1983 में वह सिंध के नवाबशाह से जिला काउंसिल के चुनाव में हार गए। इसके बाद उन्‍होंने रियल स्‍टेट में हाथ आजमाया। 18 दिसंबर 1987 को बेनजीर भुट्टो से उनकी शादी हुई। जब 1988 में बेनजीर भुट्टो पाकिस्‍तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं,तब जरदारी एकाएक बड़े महत्‍वपूर्ण व्‍यक्ति बन गए।
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‘मिस्‍टर 10 पर्सेंट’ के नाम से जाने जाते थे

कहा जाता है कि उस दौर में पाकिस्तान में कोई भी डील बिना जरदारी की हामी के बिना पास नहीं हो सकती थी। किसी भी प्रोजेक्‍ट को आगे करवाने के लिए जरदारी ने अपना कमीशन बांधा हुआ था। तब उन्हें लोग ‘मिस्‍टर 10 पर्सेंट’ के नाम से जानते थे। 10 अक्‍टूबर 1990 को अपहरण और वसूली के आरोप में उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया। 90 के दशक में जरदारी ने पर्दे के पीछे से सियासत छोड़ सामने आने का फैसला किया और जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और जीते भी। 1993 में वे पहली बार पाकिस्‍तान की कार्यवाहक सरकार में मंत्री बने।
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