पाकिस्ताान में बड़ा साइबर हमला, हैकर्स ने बैंकों को हैक कर लगाई सेंध, करोड़ों उड़ाए जानकारों के अनुसार- ट्रंप प्रशासन का यह निर्णय दिखाता है कि ओमान की खाड़ी में विकसित किए जा रहे इस बंदरगाह में भारत की भूमिका को अमरीका मान्यता देता है। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि एक दिन पहले ही ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए और छूट देने में उसका रुख़ बेहद सख्त है। बता दें, यह पोर्ट युद्ध ग्रस्त अफगानिस्तान के विकास के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
चुनाव के लिए तैयार अमरीका, कहा- रूस की फर्जी खबरों पर चौकन्ने रहें रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता के हवाले से लिखा गया है कि गहन विचार के बाद विदेश मंत्री ने 2012 के ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार रोधी अधिनियम के तहत लगाए गए कुछ प्रतिबंधों से छूट देने का प्रावधान किया है, जो चाबहार बंदरगाह के विकास, उससे जुड़े एक रेलवे लाइन के निर्माण और बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान के इस्तेमाल वाली, प्रतिबंध से अलग रखी गई वस्तुओं के नौवहन से संबंधित है। यह बंदरगाह ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के देश में निरंतर आयात से भी जुड़ा हुआ है।
फ्रांस : राष्ट्रपति के खिलाफ चल रही थी ‘हिंसक हमले’ की साजिश, 6 संदिग्ध गिरफ्तार चाबहार बंदरगाह ऊर्जा संसाधनों से भरपूर देश के दक्षिणी तट पर स्थित सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में है। भारत के पश्चिमी तट से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसे पाकिस्तान के ग्वादार बंदरगाह के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जाता है।
सड़क परविहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के साथ बैठक के बाद अखौंदी ने कहा, ‘हम पहले ही एक कदम आगे बढ़ चुके हैं। हमें भारत को बैंक चैनल पेश करना चाहिए, जो हम पहले ही कर चुके हैं और सौभाग्य से भारत ने औपचारिक रूप से इसे स्वीकार भी कर लिया है।’ उन्होंने कहा कि भारत ने भी बैंकिंग जरिया पेश किया है और इसे ईरान के केंद्रीय बैंक ने स्वीकार कर लिया है।