scriptमुझे नहीं लगता कि मैं गरीब हूं, जिसके ऐसे बच्‍चे हों, वो गरीब कैसे हो सकता है | an emotional story of a father and his children | Patrika News

मुझे नहीं लगता कि मैं गरीब हूं, जिसके ऐसे बच्‍चे हों, वो गरीब कैसे हो सकता है

Published: Nov 12, 2017 09:57:04 am

Submitted by:

राहुल

इन दिनों मैं यह महसूस कर रहा हूँ कि कहीं से भी मैं गरीब नहीं हूँ, जिसके पास ऐसे बच्चे हों वो गरीब कैसे हो सकता है।”

नई दिल्ली: हर माता-पिता अपने बच्चों को हर हाल में खुश देखना चाहते हैं, उनके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, उनके लिए बड़े-बड़े सपने देखते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इदरीस नाम के इस पिता से बढ़ कर नहीं हो सकता! इदरीस एक क्लीनर है जिसने हर वो काम किया जिसे करने में कई लोग झिझक या शर्म महसूस करते हैं।
सड़कों की सफाई से लेकर नाली और नाले, गाड़ियों की सफाई और न जाने क्या-क्या? सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसकी तीन बेटियां अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सम्मान की ज़िंदगी जियें। यहां तक कि उसने अपनी बेटियों को कभी इस बात का अंदाजा तक नहीं होने दिया कि वो क्या काम करता है! ताकि उसकी ये तीनों बेटियों का सर कभी शर्म से न झुके! सलाम है ऐसे पिता को!
GMB Akash नाम के एक फेसबुक यूजर ने इदरीस की कहानी उसी के हवाले से शेयर करते हुए लिखा है कि इदरीस कहते हैं, ” मैं अपनी कमाई का एक एक हिस्सा अपनी बेटियों की पढाई पर खर्च करना चाहता हूँ। मैंने कभी नई शर्ट नहीं खरीदी लेकिन उन पैसों से बच्चियों के लिए किताबें जरूर खरीदीं। मैं उस दिन के इन्तजार में हूँ जब मेरी बेटियां मेरे लिए वो सब करें जो मैं चाहता था।”
नालों की सफाई करने वाले इदरीस कहते हैं कि मैंने अपने बच्‍चों को कभी नहीं बताया कि मैं क्‍या काम करता था। मैं उन्‍हें कभी मेरी वजह से शर्मिंदा महसूस नहीं कराना चाहता था। जब मेरी छोटी बेटी ने मुझसे पूछा करती कि मैं क्‍या करता हूं तो मैं उसे हिचकिचाते हुए बताता, मैं एक मजदूर हूं।
आकाश इदरीस के हवाले से लिखते हैं कि जब मेरी बेटी के कॉलेज ए‍डमिशन की आखिरी तारीख से एक एक दिन पहले, मैं उसकी एडमिशन फीस का जुगाड़ नहीं कर सका। तो समझ नहीं आया कि घर कैसे जाऊं बेटियों को अपना चेहरा कैसे दिखाऊं। उस दिन मैंने सफाई भी नहीं की। मैं बैठा हुआ था कि मेरे कुछ साथी मेरे पास आये और मेरी परेशानी की वजह पूछी। मैंने मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने अपनी एक दिन की कमाई मेरे हाथों में रख दी और कहा कि हम एक दिन खाना नहीं खायेंगे तो क्या हुआ, तुम्हारी बेटी की पढाई नहीं रुकनी चाहिए। उस दिन मैं पैसे लेकर एक सफाई कर्मी की तरह ही घर गया। अब मेरी बच्चियों को सच पता लग चुका था।
मेरी बड़ी बेटी अब कॉलेज खत्म करने वाली है और अब मेरी तीनों बेटियां मुझे और काम करने नहीं दे रही हैं। छोटी बेटी पार्ट टाइम नौकरी करती है और बाकी ट्यूशन पढ़ाती हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो