दरअसल, एक एंड्रायड यूजर टैंगलब्रूक भी यही मानते थे, लेकिन उनका बैकअप डेटा गूगल से उड़ गया। उनकी गलती सिर्फ यह थी कि वह दो महीने के लिए एंड्रॉयड फोन छोडक़र
आईफोन का इस्तेमाल करने लग गए थे। लेकिन जब कुछ समय बाद उन्होंने एंड्रायड पर वापसी की तो पता चला कि गूगल ने उनका सारा डेटा एंड्रायड प्लेटफार्म से हटा दिया है। तब उन्हें पता चला, कि गूगल सिर्फ दो ही महीने तक आपके एंड्रॉयड डेटा का बैकअप रखता है। जब उसे लगता है कि आप इनैक्टिव हैं, तो वह अपने सर्वर से सब डिलीट कर देता है। नतीजतन, उन्हें अपना नेक्सस 6 फिर से एक नए एंड्रॉयड फोन की तरह इस्तेमाल करना शुरू करना पड़ा जिस पर कोई पुराना डेटा नहीं बचा था।
एंंड्रायड हेडलाइन्स की रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि संबंधित व्यक्ति को इस बैकग्राउंड एक्टिविटी के बारे में कोई नोटिफिकेशन भी नहीं मिला। टैंगलब्रूक ने इस मामले में टेक कंपनी गूगल के एक प्रतिनिधि से भी बात की और पाया कि बैकअप को गूगल ड्राइव या किसी और जगह भी नहीं रखा जा सकता। गूगल की ऑफिशियल पॉलिसी में भी यह साफ लिखा है कि अगर दो हफ्ते तक कोई यूजर इनैक्टिव रहता है या उसके डेटा का इस्तेमाल नहीं होता, तो उसे सर्वर से हटा दिया जाता है।
जब यूजर एक पुराने एंड्रायड फोन से नए पर स्विच करते हैं तो सर्वर नए डिवाइस को ही एक्टिव डिवाइस मानते हैं। अगर कोई एंड्रायड डिवाइस किसी खास अकाउंट से लिंक्ड है और उसे कोई नए कॉन्टैक्ट अथवा नई सेटिंग्स मिलती हैं तो वे दूसरे डिवाइस पर भी सिंक हो जाती हैं। इसका मतलब गूगल के सर्वर लगातार हर अकाउंट को डिवाइस के स्टेटस के लिए चेक करता रहता है। एंड्रायड का बैकअप किसी दूसरे प्लैटफॉर्म पर इस्तेमाल नहीं हो सकता। इसलिए उसे बचाए रखने के लिए एक एंड्रायड डिवाइस पर खुद को लॉग इन जरूर रखें और उसे इंटरनेट कनेक्शन पर भी रखें ताकि गूगल आपको इनैक्टिव न समझने लगे। यदि ऐसा हुआ तो आपका डेटा भी डिलीट कर दिया जाएगा।