ये है मामला दरअसल, होस्ने आरा लाजु नाम की एक महिला ने हुमायूं फरीद लाजु से साल 2013 में शादी कर ली थी। शादी के लिए हुस्ने अारा ने इस्लाम अपनाया था। दोनों के परिवार वाले इस शादी के सख्त खिलाफ थे और काफी विरोध भी किया। लड़की के घरवालों ने लड़के के खिलाफ पुलिस में किडनैपिंग का केस भी दर्ज किया और लड़के को बहुत सताने लगे।
विवादों से परेशान होकर लड़के ने हारकर साल 2014 में आत्महत्या कर ली थी। लेकिन मामला तब गर्म हुआ जब लड़के की मौत के दो महीने बाद ही लड़की ने भी जहर खाकर जान दे दी। लड़की के परिवारवाले मामले को लेकर कोर्ट पहुंच गए कि आखिर उसे दफनाया कैसे जा सकता है। हालांकि, महिला के परिवार का कहना है कि उनकी बेटी ने आत्महत्या से पहले दोबारा हिंदू धर्म में परिवर्तन किया था। लेकिन चार साल तक मामला कोर्ट में ही लटका रहा और अब जाकर कोर्ट मे अपना फैसला सुनाया है।
अंतिम संस्कार को लेकर बहस होस्ने आरा लाजु की मौत के बाद से उनके अंतिम संस्कार को लेकर भारी बहस शुरु हो गई थी। यहां तक कि मामले को लेकर होस्ने के परिजनों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। होस्ने के परिजन हिंदू तरीके से अंतिम संस्कार करने पर जोर दे रहे थे। वहीं, लड़के के परिवार वाले इस्लामिक तरीके से उनके शव को दफनाना चाहते थे। लेकिन अब इस मामले में कोर्ट ने होस्ने को मुस्लिम मानते हुए उनके शव को फरीद के बगल में दफनाने का आदेश दिया है।