जी हां! हम आपको आज इस पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी किया गया और जो आज तक जीवित है। आखिर कहाँ है यह पेड़? यह पेड़ कोलकाता में स्थित आचार्य जगदीशचंद्र बोस बोटैनिकल गार्डन में है। कहा जाता है कि यह पेड़ करीब 250 साल पुराना है जोकि 14,500 वर्गमीटर में फैला है। इस पेड़ के बारे में कहा जाता है कि पिछले ढाई सौ सालों से इसका आकार इस दायरे में बढ़ता जा रहा है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पेड़ को वटवृक्ष कहा गया है जिसे ईश्वर का प्रतीक माना गया है। कहा तो यहाँ तक जाता है कि जब सारी दुनिया पानी में डूब जाती है तब भी यह वटवृक्ष बचा रह सकता है। इस पेड़ की महत्वता इस वजह से भी बढ़ जाती है क्योंकि इसके पत्तों का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने में किया जाता है. इस वटवृक्ष के पत्ते कफ को दूर करते हैं। इससे ब्लड प्यूरीफाई होता है।
वटवृक्ष की जड़ों में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोगी हैं। इस पेड़ की जड़े भी अपना अलग महत्व रखती हैं जोकि मिट्टी को पकड़कर रखती हैं। यह पेड़ एक दिन में 20 घंटे से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन बना सकता है। बताया जाता है कि एक बार भीषण अकाल के दौरान इसके पत्ते जानवरों को खिलाए गए थे जिससे उन्हें अपना जीवन बचाने में काफी मदद मिली थी।