भारत में कोरोना के डबल म्यूटेंट और नए वेरिएंट के क्या हैं खतरे
कंपनी ने बुधवार को अपना बयान जारी करते हुए दावा किया था अमेरिका में 2,250 बच्चों पर फेज थ्री ट्रायल शुरू किया गया था जिसका पहला डोज 100% असरदार साबित हुआ। और इसके बाद दूसरा डोज देने के एक महीने बाद देखा गया कि इनमें बेहतर एंटीबॉडी विकसित हुए हैं। अब कंपनी इस डेटा को US फूड एंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन को सौंपने पर विचार कर रही है, ताकि जल्द से जल्द वैक्सीन को उपयोग करने की मंजूरी मिल सके।
Covid-19: लंबा चला तो एक मजबूत मौसमी बीमारी बनकर उभरेगा, UN रिसर्च टीम का दावा
भारतीय मूल के अभिनव भी ट्रायल में शामिल हुए
वैक्सीन का ट्रायल अक्टूबर साल 2020 में शुरू किया गया था जिसके नतीजे अब सामने आए हैं। इस फाइजर वैक्सीन के ट्रायल में भारतीय मूल के 12 साल के अभिनव भी शामिल थे। ये बच्चा कोरोना वैक्सीन लेने वाले सबसे कम उम्र के बच्चों में शामिल है। इनके पिता शरत भी डॉक्टर हैं और बेटे के साथ साथ वो भी कोविड वैक्सीन के ट्रायल में शामिल रहे हैं। अभिनव ने अमेरिका के सिनसिनाटी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर में वैक्सीन लगवाई थी।
2 से 5 साल के बच्चों पर ट्रायल शुरू करने की योजना
कंपनी ने 12 साल से 15 साल के बच्चों के लिए कोरोना बैक्सीन तैयार करने के बाद अब वो पिछले सप्ताह से 6 महीने से 11 साल तक के बच्चों में वैक्सीन के फेज 1,2,3 के क्लिनिकल ट्रायल पर काम करना शुरू कर रही है। इस स्टडी के दौरान अभी 5 से 11 साल के बच्चों को पहला डोज दिया गया। कंपनी अगले सप्ताह से 2 से 5 साल के बच्चों पर ट्रायल करना शुरू करेगी। इस बैक्सीन के नतीजे किस तरह के मिलते है इसके बारे में जानकारी साल 2021 के आखिर तक में देखने को मिलेगी।
अमेरिकी कपंनी फाइजर के अलावा अब एक और कंपनी मॉडर्ना भी टीनएजर और बच्चों पर अपनी वैक्सीन के ट्रायल पर काम कर रही है। इनमें 12 से 17 साल और 6 महीने से 11 साल तक के बच्चों पर अलग-अलग ट्रायल किए जा रहे हैं।