अध्ययन में पता चला कि पॉजिटिव लोगों में कोरोना के कोई भी ज्ञात लक्षण (खांसी, बुखार और स्वाद या सूंघने की क्षमता का ह्रास) नहीं मिला। बता दें कि गुरुवार को दि यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ( UCL ) के शोधार्थियों के अध्ययन की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। यह अध्ययन ‘क्लिनिकल एपिडेमियोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है।
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अध्ययन करने वाले लेखकों ने जांच में कोई लक्षण नहीं मिलने पर इसे वायरस का मौन संचरण यानी साइलेंट ट्रांसमिशन ( Silent Transmission ) कहा है। लेखकों ने कहा कि कोरोना के मौन संचरण को रोकने के लिए अभी की तुलना में अधिक से अधिक कोरोना टेस्टिंग की जरूरत है।
व्यापक जांच की आवश्यकता
UCL के एपिडेमियोलॉजी और हेल्थ केयर विभाग की प्रोफेसर आइरीन पीटरसन ने बताया कि इतनी बड़ी संख्या में एसिम्टोमैटिक कोरोना पॉजिटिव मरीजों मिलना इस बात का संकेत है कि भविष्य के लिए हमें जांच की अपनी वर्तमान रणनीति को बदलना होगा। इसका एकमात्र तरीका व्यापक रूप से जांच किया जाना है।
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व्यापक जांच के जरिए ही साइलेंट ट्रांसमिशन को रोका जा सकता है। प्रो. पीटरसन के मुताबकि, कोरोना वायरस संक्रमण की व्यापक स्तर पर जांच की रणनीति में पूल टेस्टिंग भी एक अहम तरीका साबित हो सकता है।
बता दें कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस से अब तक 42,592 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 5.62 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। वहीं पूरी दुनिया की बात करें तो 3.63 करोड़ लोग संक्रमित हुए हैं, जबकि 10.6 लाख लोगों की मौत हुई है।