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Britain ने WHO का निर्देश माना, Hydroxychloroquine को छोड़ Remdesivir के ट्रायल को दी मंजूरी

locationनई दिल्लीPublished: May 27, 2020 02:51:55 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

Highlights

WHO द्वारा मलेरिया की दवा पर प्रतिबंध लगाने के बाद Remdesivir के क्लिनिकल ट्रायल को दी मंजूरी।
ब्रिटेन की एजेंसियों के अनुसार Remdesivir के इस्तेमाल और फायदे को लेकर पर्याप्त सबूत हैं।

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Remdesivir के क्लिनिकल ट्रायल को दी मंजूरी

लंदन। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) को कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के इलाज के लिए प्रतिबंध लगाने के बाद अब ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा NHS ने रेमडेसिवीर (Drug Remdesivir) के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है।
ब्रिटेन में कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए रेमडेसिवीर दवा इस्तेमाल की जा रही है। इससे पहले कई देशों में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का भी क्लिनिकल ट्रायल चल रहा था। मगर WHO ने मंगलवार को इसे अस्थायी तौर पर रोकने का फ़ैसला लिया था।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक के अनुसार ब्रिटेन कोविड-19 के मरीजों के लिए रेमडेसिवीर दवा का क्लिनिकल ट्रायल जल्द शुरू करने वाला है। ब्रिटेन की एजेंसियों के अनुसार इस दवा के इस्तेमाल और फायदे को लेकर पर्याप्त सबूत हैं। कोविड-19 अस्पतालों में इसके इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। हालांकि इस दवा की सप्लाई बड़ा मुद्दा है। इसकी उपलब्धता काफी कम है। इस दवा को उन्हें दिया जा रहा है, जिनकी हालत ठीक नहीं है।
अमेरिका-जापान में चल रहा ट्रायल

गौरतलब है कि इसका इस्तेमाल अमरीका और जापान में शुरू हो गया है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार कोविड-19 के मरीज़ों के लिए रेमडेसिवीर कोई स्थाई इलाज नहीं है। इस दवा का असर सिर्फ कोरोना के बेहद गंभीर मरीजों पर होता है। गौरतलब है कि रेमडेसिवीर को मूल रूप से अमरीका की कंपनी गिलीड साइंसेज़ ने विकसित किया था। इस दवा का इस्तेमाल इबोला के उपचार के लिए भी होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉक्टर ब्रुस आइलवर्ड के अनुसार रेमडेसिवीर एकमात्र ऐसी दवा है जो कोरोना के मामलों में असरदार नजर आती है। मगर इसका कोई प्रमाणित डेटा सामने नहीं आया है। ये दवा शरीर के मौजूद एंजाइम पर हमला करती है। इसके था मौजूद उस एक एंज़ाइम पर हमला करती है जिसकी मदद से कोई वायरस शरीर में दाखिल होने के बाद ख़ुद को बढ़ाता है. हालांकि इस दवा से कितने लोगों की जान बची है इसका कोई प्रमाणित डेटा मौजूद नहीं है।
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