ब्रिटेन ने पिछले वर्षों में भारत को 1 बिलियन पौंड से अधिक का अनुदान दिया है। अब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्घाटन के बाद इसका यह कहकर मजाक उड़ाया जा रहा है कि भारत एक अमीर देश है, क्योंकि इसे दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाने का सौभाग्य मिला है। बता दें कि सरदार बल्लभ भाई पटेल को समर्पित विशाल कांस्य स्मारक का बुधवार को अनावरण किया गया था। शुरू से ही अत्यधिक खर्चे के लिए इस प्रोजेक्ट की निंदा की जा रही है।
यह इंजीनियरिंग परियोजना 2012 में शुरू हुई थी। इसी साल ब्रिटेन ने भारत को 300 मिलियन पाउंड का कर्ज दिया था। 2013 में ब्रिटेन ने 268 मिलियन पौंड का एक और अनुदान दिया। ब्रिटेन से मिली मदद का आंकड़ा 2014 में 278 मिलियन पौंड और 2015 में 185 मिलियन पौंड का था। अब ब्रिटेन का आरोप है कि उसके पैसे से मदद लेकर भारत ने यह मूर्ति बना दी। ब्रिटेन के एक सांसद पीटर बोन ने कहा, “हमारे द्वारा दी गई सहायता से 330 मिलियन खर्च करने का मामला बहुत अजीब है। यह साबित करता है कि हमें भारत को पैसा नहीं देना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “यह पूरी तरह भारत के ऊपर है कि वे अपने पैसे कैसे खर्च करते हैं। लेकिन अगर वे इतनी महंगी मूर्ति का खर्च बर्दाश्त कर सकते हैं, तो यह स्पष्ट है कि वह एक अमीर देश है जिसे हमें सहायता देने की आवश्यकता नहीं है।”
बताया जा रहा है कि ब्रिटिश सहायता से मिले धन को सौर पैनलों, कम कार्बन उत्सर्जन करने वाली परिवहन योजनाओं और महिलाओं के अधिकारों में सुधार की परियोजनाओं पर खर्च किया गया था। ब्रिटेन के अखबारों में कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यहां ब्रिटेन की तुलना में अधिक अरबपति हैं। यह वर्तमान में बीमारी और स्वास्थ्य की देशव्यापी समस्याओं के बावजूद अधिक विदेशी सहायता प्रदान करता है।