इस बीच अब ब्रिटिश संसद में भी कृषि कानूनों की गूंज सुनाई दी। ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कामंस में कृषि सुधारों को भारत का घरेलू मामला बताया गया। संसद में एक वरिष्ठ सांसद ने बयान देते हुए कृषि कानूनों को भारत का आंतरिक मामला बताया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को विपक्षी लेबर पार्टी के सांसदों ने इस मुद्दे पर बहस की मांग की थी। इसके जवाब में सत्तापक्ष से जुड़े एक वरिष्ठ सांसद जैकब रीस मोग ने बयान देते हुए कहा, ‘भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। वह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारे सबसे मजबूत संबंध हैं। किसानों के आंदोलन पर ब्रिटिश सरकार बारीकी से नजर रखी है। कृषि सुधार भारत का घरेलू मामला है।’
अमरीका ने भी कृषि कानूनों का किया समर्थन
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमरीका ने भी विवादों के बीच कृषि कानूनों का समर्थन किया था। अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा था कि वह उन प्रयासों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी।
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आपको बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर देश-विदेश की कई हस्तियों ने सवाल खड़े किए और किसान आंदोलन का समर्थन किया। इतना ही नहीं, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन एवं यूरोपीय संघ के तमाम विकसित देश काफी पहले से ही भारत में अनाजों की सरकारी खरीद को लेकर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं।