अब एक और नया शोध सामने आया है, जिसमें चौंकाने वाला दावा किया गया है। दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ( Oxford university ) के एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप का दूसरा दौर आने की स्थिति में यहां के लोगों में रोकथाम के लिए संभवत: पर्याप्त प्रतिरोधक क्षमता ( Herd Immunity ) विकसित हो चुकी है।
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इस अध्ययन में भारतीय मूल की प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता ( Indian origin Professor Sunetra Gupta ) और उनके तीन अन्य सहयोगी भी शामिल हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ये शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ब्रिटेन के लोगों में आम सर्दी जुकाम जैसे मौसमी संक्रमण की वजह से पहले ही सामूहिक तौर पर प्रतिरोधक क्षमता ( Immunity power ) का स्तर इतना है कि वे घातक कोरोना वायरस ( Coronavirus ) के फिर से पनपने पर उसका सामना कर सकते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया शोध
शोधपत्र में कहा गया है, ‘व्यापक मान्यता है कि किसी महामारी वाले क्षेत्र के लिए संक्रमण की रोकथाम के लिहाज से रोग प्रतिरोधक क्षमता ( Herd Immunity ) का जरूरी स्तर 50 प्रतिशत अधिक होता है।’ शोध में इस ओर भी इशारा किया गया है कि जब अच्छी प्रतिरक्षा क्षमता वाले लोग कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के साथ मिलते-जुलते हैं तो सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता ( Group Herd Immunity ) का स्तर तेजी से घटता है।
फिलहाल इस शोध का व्यापक समीक्षा और विश्लेषण नहीं हुआ है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में थियोरेटिकल एपिडेमियोलॉजी ( Theoretical Epidemiology at Oxford University ) की प्रोफेसर गुप्ता ने इससे पहले एंटीबॉडी जांच बढ़ाने की बात कही थी, इससे ब्रिटेन की आबादी में घातक कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता का स्तर मजबूत हो रहा है या नहीं।
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प्रोफेसर गुप्ता और उनके सहयोगियों जोस लॉरेंसो, फ्रांसेस्को पिनोटी तथा क्रेग थांपसन ने अपने अध्ययन में कहा, ‘मौसमी कोरोना वायरस संक्रमणों के कारण बीमारी के लक्षणों की रोकथाम होने के बड़ी संख्या में प्रमाणों को देखते हुए यह मानना तर्कसंगत होगा कि SARS-COV2 की चपेट में आने से भी इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।’