एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में ई पेत्रो ने कहा कि नासा का एलआरओ 17 सितंबर को उस स्थान से गुजरा था, जहां पर विक्रम गिरा है। लेकिन, उस वक्त चांद पर शाम हो रही थी। इसके कारण चंद्रमा का एक बड़ा हिस्सा काली छाया के अंदर चला गया था। हालांकि, LSRO ने लैंडिंग साइट की कई तस्वीरें ली, लेकिन विक्रम लैंडर का लोकेशन नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि उन तस्वीरों का विश्लेषण किया जा रहा है।
पढ़ें- चंद्रयान 2: नासा के हाथ लगी बेहद अहम तस्वीरें, विक्रम लैंडर को लेकर हो सकता है बड़ा खुलासा नासा साइंटिस्ट पेत्रो ने आगे कहा कि अभी ताजा तस्वीरों की जांच चल रही है। हालांकि इस बात की ज्यादा संभावना है कि शाम होने की वजह से विक्रम के लैंडिंग एरिया में छाया आ गई हो या फिर जिन जगहों की तस्वीरें ली गई हैं वहां पर अंधेरा छा गया हो। उन्होंने कहा कि नासा का एलआरओ अब 14 अक्टूबर को लैंडिंग साइट से फिर गुजरेगा।
पढ़ें- आखिर विक्रम लैंडर से नासा का क्यों नहीं हुआ संपर्क, सामने आई यह सच्चाई उस समय चंद्रमा पर दिन होगा और अच्छी तस्वीरें ली जा सकेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि नासा 17 अक्टूबर की तस्वीरों की जांच के बाद जल्द ही इसके परिणाम दुनिया को बताएगा। इधर, इसरो का कहना है कि अब विक्रम से संपर्क की उम्मीदें खत्म हो गई है और इसरो के वैज्ञानिक दूसरे मिशन में जुट गए हैं। अब देखना यह है कि 18 अक्टूबर को नासा इस मिशन को पूरा कर लेता है या फिर कुछ और परिणाम सामने आता है।