चीन (China) ने इस रॉकेट को 5 मई को हैनान द्वीप पर वेनचांग सेंटर से लॉन्च किया था। चीन ने इसे उस वक्त लांच किया था जब दुनिया कोरोना के प्रकोप से जकड़ी हुई थी। चीन इसके जरिए दुनिय को अपनी ताकत का अहसास करवाना चाहता था। चीन ने इस लॉन्च के आसपास ही अपने यहां पर लगे लॉकड़ाउन को खोलने की कवायद भी शुरू की थी। वैज्ञानिकों के अनुसार तकनीकी खराबी के काराण रॉकेट अनियंत्रित हो गया था और इसके बाद ये पृथ्वी के वायुमंडल में तेजी से गिर रहा था। पिछले तीन दशकों में यह पृथ्वी के वायुमंडल में लौटने वाला सबसे बड़ा स्पेस जंक था। इस रॉकेट ने 11 मई को सुबह करीब 11:33 बजे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया था।
अमेरिका की स्पेस फोर्स 18वीं स्पेस कंट्रोल स्क्वाड्रन के मुताबिक उस वक्त यह अफ्रीका के पश्चिमी तट से अटलांटिक सागर के ऊपर से गुजर रहा था। हैरानी की बात यह है कि अमेरिका के वैज्ञानिकों को आखिरी समय में इसका पता लग सका। वैज्ञानिकों ने बताया कि चीन के इस रॉकेट के टुकड़े 15 मिनट बाद ही न्यूयॉर्क शहर के ऊपर देखे गए थे। चीन रॉकेट को अगली पीढ़ी के क्रू कैप्सूल को कक्षा में स्थापित करने के लिए लेकर गया था। चीनी डिजाइनरों ने इस रॉकेट के दूसरे चरण को हटा दिया और इसे पेलोड के लिए एक लंबे वॉल्यूम में बदल दिया था। चीन का ये शक्तिशाली रॉकेट लंबाई में करीब 100 फीट या 30 मीटर था और चौड़ाई में करीब 16 फीट या 5 मीटर था। इसका वजन करीब 20 मैट्रिक टन था। मालूम हो कि चीन से पहले स का एक रॉकेट फ्रेगैट-एसबी (Fregat-SB) 8 मई को स्पेस में 65 टुकड़ों में बिखर गया था। इसके कुछ टुकड़े संभावित तौर पर हिंद महासागर में गिरे थे। कम अंतराल में रॉकेट्स के टूटने की दो घटनाएं सामने आई हैं।