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चीनी वैज्ञानिकों के लिए 7 मिनट होंगे काफी अहम, मंगल पर उतरेगा Zhurong रोवर

locationनई दिल्लीPublished: May 14, 2021 09:20:18 pm

Submitted by:

Anil Kumar

Tianwen-1 रोवर का मंगल पर उतरना इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि ये चीन का पहला इंटरसेप्टरी मिशन है और यदि यह सफल रहता है तो चीन मंगल की सतह पर उतरने वाला दूसरा देश बन जाएगा।

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china zhurong rover will land on mars surface today, Scientists eyes on it each seconds

बीजिंग। आज का दिन (शुक्रवार, 14 मई) चीन के लिए बहुत ही खास है। पूरी दुनिया की नजरें चीन के वैज्ञानिकों पर टिकी हैं। यदि चीनी वैज्ञानिक इस मिशन में कामयाब होते हैं तो यह बहुत ही एतिहासिक पल होगा।

दरअसल, चीन का जुरोंग रोवर ( Zhurong Rover ) शुक्रवार को मंगल ग्रह पर लैंड करने के लिए तैयार है। ऐसे में चीन के इस मंगल मिशन की सफलता आज के शाम सात बजकर ग्यारह मिनट (7:11 बजे) पर टिकी है। यानी पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों की नजरें इस पर टिकी हैं। बीजिंग की अंतरिक्ष एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि चीन का जुरोंग रोवर मंगल ग्रह पर चुनौतीपूर्ण लैंडिंग का प्रयास करने के लिए तैयार है। यह शनिवार (15 मई) से बुधवार (19 मई) के बीच लैंड करेगा।

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चीन के इस रोवर का मंगल पर उतरना इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि ये चीन का पहला इंटरसेप्टरी मिशन है और यदि यह सफल रहता है तो मंगल की सतह पर उतरने वाला चीन दूसरा देश बन जाएगा। गुरुवार को अधिकारियों ने बताया था कि कैप्सूल शाम करीब 7:11 बजे ‘टेरर के सात मिनट’ से गुजरेगा।

वैज्ञानिकों के लिए सात मिनट काफी अहम

‘टेरर के सात मिनट’ (7 Minutes of Terror) का मतलब है कि ये रोवर 12 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से 0 मील प्रति घंटे की रफ्तार पर आकर मंगल की सतह पर उतरेगा। यही आखिरी सात मिनट काफी अहम माने जाते हैं, क्योंकि यही वह पल होता है तो ये तय करेगा कि रोवर की लैंडिंग सुरक्षित हुई है या नहीं।

यह समय बिल्कुल वैसे ही होगा जैसा कि इस साल के शुरुआत में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के लिए परसिवरेंस रोवर के आखिरी सात मिनट बेहद अहम थे। इस खास पल में रोवर की गति को घटाने की व्यवस्था की जाती है, ताकि सतह पर सुरक्षित लैंडिग हो सके।

चीनी पौराणिक कथाओं से रखा गया है रोवर का नाम

मालूम हो कि ये रोवर चीन के अंतरिक्ष यान ‘तियानवेन-1’ (Tianwen-1 Spacecraft of China) की बेली में लगा हुआ है। तियानवेन नाम एक प्राचीन कविता के शीर्षक से लिया गया है। चीन के ‘तियानवेन-1’ (Tianwen-1) का अंग्रेजी में मतलब ‘क्वेश्चन्स टू हेवेन’ (स्वर्ग से सवाल) है।

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चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) का कहना है कि प्राचीन चीनी पौराणिक कथाओं में जुरोंग आग के देवता को कहा जाता है। इस सफलता पर चीन का नाम हमेशा लाल (मंगल) ग्रह पर गूंजेगा।’

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मंगल पर फरवरी में पहुंचा था तियानवेन-1

आपको बता दें कि चीन से पहले अमरीका का रोवर मंगल पर सफलतापूर्वक उतर चुका है। अब यदि चीन का यह मिशन सफल होता है तो चीन दूसरा देश बन जाएगा। इस साल फरवरी में तियानवेन-1 मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था। यह रोवर मंगल की सतह पर उसी जगह उतरेगा, जहां 1976 में नासा का विकिंग 2 लैंडर उतरा था। बीते करीब तीन महीने से तियानवेन मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और चीनी वैज्ञानिक मैपिंग कर रहे हैं, ताकि सही जगह पर लैंडर व रोवर को उतारा जा सके।

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मालूम हो कि इस लैंडर व रोवर का कुल वजन 2866 पाउंड (1300 किलोग्राम) है। लैंडर व रोवर दोनों साथ ऑर्बिटर से उतरेंगे। चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (China National Space Administration) के लूनर एक्सप्लोरेशन एंड स्पेस प्रोग्राम सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर लियू तोंगजी का कहना है कि लैंड होने से पहले आखिरी सात मिनट काफी अहम हैं, क्योंकि इसी पल दोनों अंतरिक्षयानों की गति 12,427 मील (20 हजार किलोमीटर) से कम होकर 0 पर आएगी। तोंगजी ने बताया कि इस रोवर में छह उपकरण लगाए गए हैं, जो मंगल ग्रह से जरूरी जानकारी जुटाएंगे।

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