चीनी मीडिया के मुताबिक, हू वीफेन्ग बीते चार महीने से संक्रमण से जूझ रहे थे। हालांकि बीच में खबर आई थी कि वे रिकवर हो रहे हैं इसीलिए उनका वेंटिलेटर हटा दिया गया है। वे जनवरी में कोरोना संक्रमित पाए गए थे। जिस अस्पताल में हू वीफेन्ग काम करते थे वहां डॉक्टर ली वेनलियान्ग भी काम करते थे। उन्होंने ही बीते साल दिसंबर में कोरोना के बारे में सबसे पहले चेतावनी दी थी। कहा जाता है कि तब से ही चीनी प्रशासन उन्हें अपना मुंह बंद रखने की धमकी दे रहा था। वेनलियान्ग ने अस्पताल से एक वीडियो के ज़रिए अपनी कहानी पोस्ट की थी। मगर बाद में उनकी मौत हो गई। ठीक ऐसे ही कोरोना से जूझते हुए वीफेंग ने भी दम तोड़ दिया, लेकिन उनकी मौत चर्चा का विषय बनी हुई है।
चीनी मीडिया के मुताबिक वीफेंग करीब एक महीने से अधिक वक्त तक आईसीयू में भर्ती थे। इलाज के दौरान स्थिति बिगड़ने पर उनकी मौत हो गई। कोरोना वायरस से उनके शरीर में कई तरह की दिक्कतें आने लगी थीं। इस सिलसिले में पहले वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के एक प्रवक्ता ने कहा था कि लीवर के काम करने में गड़बड़ी और एंटीबायोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से उनकी स्किन काली पड़ गई थी। वीफेंग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थीं।