दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने पर सहमति 15 जून को गलवान घाटी में पट्रोल पॉइंट 14 पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन ने अपने खेमे में हताहतों की संख्या पर आधिकारिक चुप्पी साधे रखी। लेकिन भारत पर हिंसा का आरोप मढ़ता रहा। कई दौर चली बातचीत के बाद आखिरकार 5 जुलाई को दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में यह तय किया गया कि सहमति के तहत दोनों सेनाएं पीछे हटेंगी। इसके बाद दोनों सेनाएं 1.5-1.5 किमी पीछे जाने की कार्रवाई शुरू कर दी।
चीनी सोशल मीडिया पर दावा हालांकि,हाल ही में चीन के सोशल मीडिया पर दावा किया गया है कि PLA तो पीछे हट गई है लेकिन भारतीय सेना अभी भी PP14 के पास तैनात है। ओपन इंटेलिजेंस सोर्स के मुताबिक कमर्शल सैटलाइट की तस्वीरों के हवाले से यह दावा किया गया है। इनके मुताबिक भारतीय सेना गलवान घाटी में झड़प वाली जगह से सिर्फ 500 मीटर दूर है जबकि चीन 800-1200 मीटर की दूरी पर है। ये तस्वीरें नौ जुलाई को लिए जाने का दावा किया गया है।
कोई नुकसान होने की पुष्टि नहीं की है 15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई इस झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिकों की मौत हो गई थी। भारत का दावा है कि चीनी सैनिकों को नुकसान हुआ है। मगर चीन की तरफ से इसके बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। चीन ने अपनी सेना को किसी भी तरह का कोई नुकसान होने की पुष्टि नहीं की है। इसके बाद दोनों देशों में पहले से मौजूद तनाव और बढ़ चुका है। दोनों ही देश एक-दूसरे पर अपने इलाकों के अतिक्रमण करने का आरोप लगा रहे हैं।
लोहे की रॉड का इस्तेमाल बताया जा रहा है कि गलवान घाटी में भारत-चीन लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों सेनाओं के बीच हुई झड़प के दौरान हथियार के तौर पर लोहे की रॉड का इस्तेमाल हुआ था। इस पर कीलें लगी हुई थी। भारत-चीन सीमा पर भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसी हथियार से चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया था।