न्यूजीलैंड बना दुनिया के लिए उदाहरण, कोरोना को हराने वाला पहला देश डब्ल्यूएफपी (WFP) का कहना है कि संघर्ष, आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित 10 देशों में सबसे अधिक जोखिम वाले लोग हैं। फूड क्राइसिस की चौथी वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट में यमन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अफगानिस्तान, वेनेजुएला, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया, नाइजीरिया और हैती पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण सूडान में 61% आबादी पिछले साल खाद्य संकट से प्रभावित थी।
महामारी से पहले भी, पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में पहले से ही सूखे के कारण गंभीर खाद्य कमी देखी गई है। एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए बेस्ले ने कहा कि दुनिया को बुद्धिमानी से काम करना और तेजी से कार्य करना था। “हम कुछ महीनों के भीतर कई अकालों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि हमारे पास समय नहीं है। उन्हें विश्वास है कि कई योजनाओं की मदद से कोविड—19 जैसी महामरी से आने वाले संकट पर काबू पाया जा सकता है।
WFP प्रमुख ने एक साक्षात्कार में बताया कि उन्होंने यह भी आशंका व्यक्त की कि 30 मिलियन लोग और संभवत: और अधिक, कुछ ही महीनों में मर सकते हैं यदि संयुक्त राष्ट्र अधिक धन और भोजन को सुरक्षित नहीं करता है। लेकिन यह भी एक ऐसी परिस्थिति है जहां दान देने वाले देशों को स्वयं के कोविड-19 के संकट की वित्तीय लागत से उबरना है।
डब्ल्यूएफपी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन का कहना है कि महामारी आर्थिक प्रभाव संभावित रूप से लाखों लोगों पर पड़ने वाला है। ये ऐसे लोग हैं जो रोज कमाकर खाने वालों में से हैं। इस दौरान लॉकडाउन से उनकी कमाई पर गहरा उसर पड़ा है। कई देश जैसे यमन में हौती विद्रोहियों के कारण मदद पहुंचाना मुश्किल है। ऐसे में यहां लोगों के लिए महामारी भरी संकट उत्पन्न कर सकता है।