मुशर्रफ का कोई निजी मामला नहीं पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को दी गई मौत की सजा पर उन्होंने कहा, यह परवेज मुशर्रफ का कोई निजी मामला नहीं है। पाकिस्तानी सेना को एक विशिष्ट रणनीति के तहत निशाना बनाया जा रहा है। पहले सेना व (खुफिया संस्था) इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस को धरने में शामिल किया, फिर सैन्य प्रमुख के सेवा विस्तार को विवादित बनाया गया और अब एक लोकप्रिय पूर्व सैन्य प्रमुख को अपमानित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम अब महज कानूनी मामला नहीं है। मामला इससे कहीं अधिक है। जनरल (कमर जावेद) बाजवा और वर्तमान सैन्य नेतृत्व ने लोकतांत्रिक व्यवस्था का साथ दिया है। इसे कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। गौरतलब है कि मुशर्रफ को न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय पीठ ने एक के मुकाबले दो के बहुमत से मौत की सजा सुनाई है।
सजा सुनाने वाले दो जजों में से एक पीठ के प्रमुख, न्यायाधीश वकार अहमद सेठ ने फैसले में लिखा है कि मुशर्रफ को कानून के अनुसार मौत की सजा दी जाए। अगर वह इससे पहले मर जाएं तो उनकी लाश को घसीटकर इस्लामाबाद के डीके चौक तक लाया जाए और वहां तीन दिन तक टांगा जाए। फैसले की इस भाषा के बाद पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान में गहरी नाराजगी पाई जा रही है।