डियेगो का जन्म साल 1810 में स्पेन में हुआ । इसके बाद डियेगो काम की तलाश में पूर्तगाल आए लेकिन काफी कोशिशों के बाद भी वो नाकामयाब रहें। कोशिशों के बाद भी जब वो नाकामयाब रहे तो उन्होने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। डियेगो सबसे पहले लूटपाठ का रास्ता चुना जिसमें वो अकेले जाने वाले किसानों से अनाज इत्यादि को लूठ लेता था और बाद में उसकी हत्या कर उसके शव को नदी में फेंक देता था। अपने इस काम के लिए उसने लिस्बन में स्थित एक पुल को चुना जहां शाम के वक्त अक्सर किसान जाया करते थें। डियेगो इस पुल में से हज़ारों किसानों की हत्या कर उसे शव को फेंक देता था।
पुलिस जब इन हत्याओं की जांच करने लगी तो डियेगो अंडरग्राउंड हो गया। इसके बाद डियेगो अपने गैंग को बड़ा बनाने के लिए ऐसे लोगों को निशाना बनाया जो कि निम्न वर्ग के थें। इन लोगों को इक_ा कर उसने एक अच्छा खासा गैंग बनाया और बड़े वारदातों को अंजाम देने लगा। पुलिस से बचने के लिए उसने
काफी हथियार भी खरीदें। लिस्बन पुलिस का कहना था कि लोगों को कू्ररता से मारने में उसे आनंद आता था। एकबार डियेगो अपने गैंग के साथ लिस्बन के एक डॉक्टर के घर में जा पहुंचा और उसकी बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी। पुलिस को जब इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने डियेगो को घटनास्थल के आसपास के सभी इलाकों में ढ़ूढ़ा और उसे पकडऩे में सफल हुआ। साल 1941 में डियेगो को 70 से अधिक व्यक्तियों की बेरहमी से हत्या के जुर्म में फांसी की सज़ा सुनाई गई लेकिन आज तक उसके सिर को प्रिजर्व करके रखा गया है।
काफी हथियार भी खरीदें। लिस्बन पुलिस का कहना था कि लोगों को कू्ररता से मारने में उसे आनंद आता था। एकबार डियेगो अपने गैंग के साथ लिस्बन के एक डॉक्टर के घर में जा पहुंचा और उसकी बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी। पुलिस को जब इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने डियेगो को घटनास्थल के आसपास के सभी इलाकों में ढ़ूढ़ा और उसे पकडऩे में सफल हुआ। साल 1941 में डियेगो को 70 से अधिक व्यक्तियों की बेरहमी से हत्या के जुर्म में फांसी की सज़ा सुनाई गई लेकिन आज तक उसके सिर को प्रिजर्व करके रखा गया है।