आरएसपीसीए को फोन पर मिली शिकायतों से पता चला कि यह तमाम चिड़िया किसी शराब बनाने वाली फैक्ट्री या स्थानीय शराब निर्माण इकाई में नशा करती हैं। डेवॉन, डोरेस्ट और सॉमरसेट के समुद्री किनारों पर तमाम सीगल्स गंभीर रूप से बीमार पाईं गईं जबकि तमाम मृत मिलीं।
संस्था के मुताबिक जिस तरह किसी इंसान पर अत्यधिक शराब सेवन का दुष्प्रभाव पड़ता है, उसी तरह पक्षियों पर भी इसका उल्टा असर पड़ता है। शराब सेवन से यह चिड़िया विचलित हो जाती हैं और इन्हें अपना संतुलन बनाए रखने में परेशानी होती है।
आरएसपीसीए के इंस्पेक्टर जो डैनियल कहते हैं, “पहली नजर में ऐसा लगा कि ये चिड़िया बोटुलिज्म (बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी) से पीड़ित हैं लेकिन इसके बाद पता चला कि उल्टी करने पर अधिकांश सही हो जाती हैं। जब हमनें इन सीगल्स को इकट्ठा किया तो इनसे शराब की गंध आ रही थी, इसलिए अब हमारी वैन से किसी पब की तरह महक आ रही है।”
टॉटन, सॉमरसेट स्थित संस्था के वेस्ट हैच वाइल्डलाइफ सेंटर में एक वेटरनरी विशेषज्ञ डेविड कूपर ने वहां पहुंची तमाम चिड़िया का इलाज किया। वे कहते हैं, “हमारे पास डेवॉन और यहां तक की कुछ चिड़िया डॉरसेट स्थित ब्रिडपोर्ट और लाइम रेजिस से भी आईं। दुखद है कि कुछ चिड़िया मर गईं। लेकिन ज्यादातर ने अच्छी तरह रिकवरी की और यहां पर कुछ दिन की देखभाल के बाद उन्हें आजाद कर दिया गया।”
इस घटना के बाद आरएसपीसीए स्थानीय शराब की भट्ठियों, शराब निर्माण इकाइयों और शराब निर्माताओं से अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां से निकलने वाला अपशिष्ट (वेस्ट) सुरक्षित हो और पशु-पक्षी इसका सेवन न कर सकें।